Visheshan kise kahate Hain | Visheshan ke Bhed

हिन्दी भारत मे बोलने जाने वाली प्राथमिक भाषा हैँ, ज्यादातर भारतीय Hindi लिखते और बोलते हैँ ऐसे मे इसे शुद्ध रूप से बोलने तथा लिखने के लिए Hindi vyakaran का अध्ययन करना अतिआवश्यक हैँ इसलिए  इस पोस्ट मे हम विशेषण किसे कहते है (visheshan kise kahate hain) के बारे मे विस्तार से जानेंगे  जो visheshan in hindi grammar का एक हिस्सा हैँ

Visheshan kise kahate hain
Visheshan

visheshan kise kahate hain

Visheshan ki paribhasha:- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें विशेषण कहते है।
इसे हम ऐसे भी कह सकते है- जो शब्द किसी संज्ञा की विशेषता (गुण, धर्म आदि )बताये उसे विशेषण कहते है।
दूसरे शब्दों में- विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है, जो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
विशेषण शब्द के उदाहरण(visheshan ke example) ⤵️

1. यह सफ़ेद गाय है।,
2. अंगूर  मीठे  है।
उपयुक्त वाक्यों में ‘सफ़ेद‘ और ‘मीठे‘ शब्द गाय और अंगूर (संज्ञा )की विशेषता बता रहे है। इसलिए ये शब्द विशेषण है।
इसका अर्थ यह है कि विशेषणरहित संज्ञा से जिस वस्तु का बोध होता है, विशेषण लगने पर उसका अर्थ सिमित हो जाता है।
जैसे- ‘शेर‘, संज्ञा से शेर-जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है, पर ‘काला शेर‘ कहने से केवल काले शेर  का बोध होता है, सभी तरह के शेरो  का नहीं।
यहाँ ‘काला’ विशेषण से ‘शेर’ संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित (सिमित) हो गयी है।
कुछ वैयाकरणों ने विशेषण को संज्ञा का एक उपभेद माना है; क्योंकि विशेषण भी वस्तु का परोक्ष नाम है। लेकिन, ऐसा मानना ठीक नहीं; क्योंकि विशेषण का उपयोग संज्ञा के बिना नहीं हो सकता।

Visheshan ke bhed  (विशेषण के भेद )

विशेषण निम्नलिखित पाँच प्रकार होते है –

  1. gunvachak visheshan  (Adjective of Quality)
  2. Sankhyavachak visheshan(Adjective of Number)
  3. Parinamvachak visheshan(Adjective of Quantity)
  4. Sanketvachak visheshan(Demonstractive Adjective)
  5. Vyaktivachak visheshan(Proper Adjective)
 

1. gunvachak visheshan (गुणवाचक विशेषण)

 

गुणवाचक विशेषण की परिभाषा : वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द (विशेष्य) के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं, gunvachak visheshan   कहलाते है।

गुणवाचक विशेषण के उदहारण⤵️

गुण  वह एक अच्छा आदमी है।
रंग  काला टोपी, लाल रुमाल।
आकार  उसका चेहरा गोल है।
अवस्था  भूखे पेट भजन नहीं होता।

Gunvachak visheshan में विशेष्य के साथ कैसा/कैसी लगाकर प्रश्न करने पर उत्तर प्राप्त किया जाता है, जो विशेषण होता है।

विशेषणों में इनकी संख्या सबसे अधिक है। इनके कुछ मुख्य रूप इस प्रकार हैं।

द्रष्टव्य गुणवाचक विशेषणों में ‘सा’ सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम भी किया जाता है। जैसे- बड़ा-सा, ऊँची-सी, पीला-सा, छोटी-सी।
स्पर्श  मुलायम, सख्त, ठंड, गर्म, कोमल, ख़ुरदरा आदि।
दिशा निचला, ऊपरी, उत्तरी, पूर्वी आदि।
दोष बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुष्ट आदि।
स्वाद मीठा, कड़वा, नमकीन, तीखा, खट्टा, सुगंधित आदि।
काल नया, पुराना, ताजा, भूत, वर्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, नवीन, सायंकालीन, आधुनिक, वार्षिक, मासिक आदि।
अवस्था  दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा आदि।
गुण  भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि।
रूप/रंग लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुँधला, फीका।
आकार गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला आदि।
स्थान उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पूरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण आदि।
अतिरिक्त गुणवाचक विशेषण के 2 उदाहरण 
गुण  वह पढ़ाई मे अच्छा है 
रंग  लाल किला , गुलाबी नगरी 

Read: विशेषण कि परिभाषा

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2. sankhyavachak visheshan (संख्यावचक विशेषण )

वे विशेषण शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम (विशेष्य) की संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

इसे हम कुछ संख्यावचक विशेषण के उदाहरण के माध्यम से समझेंगे जो निम्न है

बढ़ईगिरी के निम्नलिखित औजार भी होने चाहिए- पाँच हथौड़े, तीन बसूले, पाँच छोटी हथौड़ियाँ, दो एरन, तीन बम, दस छोटी-बड़ी छेनियाँ, चार रंदे, एक सालनी, चार केतियाँ, चार छोटी-बड़ी बेधनियाँ, चार आरियाँ, पाँच छोटी-बड़ी सँड़ासियाँ, बीस रतल कीलें-छोटी और बड़ी, एक मोंगरा (लकड़ी का हथौड़ा), मोची के औजार।

उपर्युक्त अनुच्छेद में विभिन्न प्रकार के औजारों की संख्या की बात की गई है। पाँच, तीन, दो, दस, चार, एक, बीस आदि संख्यावाची विशेषण हैं। ये विशेषण शब्द हथौड़े, बसूले, हथौड़ियाँ, एरन, बम, छेनियाँ, रंदे, सालनी आदि विशेष्य शब्दों की विशेषता बता रहे हैं।

संख्यावाचक विशेषण के भेद

संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-

  1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण
  2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
 

(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-

वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं,
निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

निश्चित संख्यावचक विशेषण के उदाहरण ⤵️

1  डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।
2  कमरे में एक पंखा घूम रहा है।
3  प्रार्थना-सभा में  सौ लोग उपस्थित 
4  मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।

इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा है; जैसे- कक्षा में कितने छात्र हैं?- चालीस,कमरे में कितने पंखे घूम रहे हैं?- एकडाल पर कितनी चिड़ियाँ बैठी हैं?- दो तथा प्रार्थना-सभा में कितने लोग उपस्थित थे?- सौ।

(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :-

वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

अनिश्चित संख्यावचक विशेषण के उदाहरण ⤵️

1  बम के भय से कुछ लोग बेहोश हो गए।
2  कुछ देर बाद हम चले जाएँगे।
3  कुछ फल खाकर ही मेरी भूख मिट गई।
4  कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।

इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध नहीं हो रहा है? जैसे-कितने लोग बेहोश हो गए?- कुछ, कितने छात्र उपस्थित थे?- कमकितने फल खाकर भूख मिट गई?- कुछ,कितनी देर बाद हम चले जाएँगे?- कुछ

 

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निश्चित संख्यावचक विशेषण के भेद 

  1. (क) गणनावाचक विशेषण- एक, दो, तीन।
  2. (ख) क्रमवाचक विशेषण- पहला, दूसरा, तीसरा।
  3. (ग) आवृत्तिवाचक विशेषण- दूना, तिगुना, चौगुना।
  4. (घ) समुदायवाचक विशेषण- दोनों, तीनों, चारों।
  5. (ड़) प्रत्येकबोधक विशेषण- प्रत्येक, हर-एक, दो-दो, सवा-सवा।

 

गणनावाचक संख्यावाचक विशेषण भेद 

  1. (i) पूर्णांकबोधक विशेषण
  2. (ii) अपूर्णांकबोधक विशेषण

 

(i) पूर्णांकबोधक विशेषण- जैसे- एक, दो, चार, सौ, हजार।
(ii) अपूर्णांकबोधक विशेषण- जैसे- पाव, आध, पौन, सवा।

पूर्णांकबोधक विशेषण शब्दों में लिखे जाते है या अंकों में।

बड़ी-बड़ी निश्चित संख्याएँ अंकों में और छोटी-छोटी तथा बड़ी-बड़ी अनिश्चित संख्याएँ शब्दों में लिखनी चाहिए।

 

3. Parinamvachak visheshan

 

जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
यह किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध कराता है।

जैसे- ‘सेर’ भर दूध, ‘तोला’ भर सोना, ‘थोड़ा’ पानी, ‘कुछ’ पानी, ‘सब’ धन, ‘और’ घी लाओ, ‘दो’ लीटर दूध, ‘बहुत’ चीनी इत्यादि।

परिमाणवाचक विशेषण के भेद

परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-

  1. (i) निश्चित परिमाणवाचक 
  2. (ii)अनिश्चित परिमाणवाचक
 

(i) निश्चित परिमाणवाचक:-

जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।

जैसे- ‘दो सेर’ घी, ‘दस हाथ’ जगह, ‘चार गज’ मलमल, ‘चार किलो’ चावल।

(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक :-

जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।

जैसे- ‘सब’ धन, ‘कुछ’ दूध, ‘बहुत’ पानी।

4. Sanketvachak or sarvnamik visheshan

 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।

दूसरे शब्दों में- ( मैं, तू, वह ) के सिवा अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे ‘संकेतवाचक’ या ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग संज्ञा के आगे उनके विशेषण के रूप में होता है, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

जैसे- वह नौकर नहीं आया; यह घोड़ा अच्छा है।
यहाँ ‘नौकर’ और ‘घोड़ा’ संज्ञाओं के पहले विशेषण के रूप में ‘वह’ और ‘यह’ सर्वनाम आये हैं। अतः, ये सार्वनामिक विशेषण हैं।

सार्वनामिक विशेषण के भेद

व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-

  1. (i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण 
  2. (ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण

(i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण- 

जो बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं।
जैसे- ‘यह’ घर; वह लड़का; ‘कोई’ नौकर इत्यादि।

(ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण- 

जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।
जैसे- ‘ऐसा’ आदमी; ‘कैसा’ घर; ‘जैसा’ देश इत्यादि।

5. Vyaktivachak visheshan

 

जिन विशेषण शब्दों की रचना व्यक्तिवाचक संज्ञा से होती है, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते है।

जैसे- इलाहाबाद से इलाहाबादी, जयपुर से जयपुरी, बनारस से बनारसी।
उदाहरण- ‘इलाहाबादी’ अमरूद मीठे होते है।

Read: व्यक्तिवाचक विशेषण के 10 उदाहरण

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विशेष्य और विशेषण में सम्बन्ध

 

विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताता है और जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है- कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है और कभी विशेष्य के बाद।

Read: विशेष्य और विशेषण मे क्या अंतर है

Read: sarvanam-सर्वनाम से आप क्या समझते है?

प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद है-

  1. (1) विशेष्य-विशेषण
  2. (2) विधेय-विशेषण
 

(1) विशेष्य-विशेष- 

जो विशेषण विशेष्य के पहले आये, वह विशेष्य-विशेष होता है-
जैसे- रमेश ‘चंचल’ बालक है। सुनीता ‘सुशील’ लड़की है।
इन वाक्यों में ‘चंचल’ और ‘सुशील’ क्रमशः बालक और लड़की के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य) के पहले आये हैं।

(2) विधेय-विशेषण-

 

जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच आये, वहाँ विधेय-विशेषण होता है;

जैसे- मेरा कुत्ता ‘काला’ हैं। मेरा लड़का ‘आलसी’ है। इन वाक्यों में ‘काला’ और ‘आलसी’ ऐसे विशेषण हैं,
जो क्रमशः ‘कुत्ता'(संज्ञा) और ‘है'(क्रिया) तथा ‘लड़का'(संज्ञा) और ‘है'(क्रिया) के बीच आये हैं।

यहाँ दो बातों का ध्यान रखना चाहिए- 

  • (क) विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुसार होते हैं। जैसे- अच्छे लड़के पढ़ते हैं। आशा भली लड़की है। राजू गंदा लड़का है।
  • (ख) यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों तो विशेषण के लिंग और वचन समीपवाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार होंगे; जैसे- नये पुरुष और नारियाँ, नयी धोती और कुरता।

विशेषण शब्दों की रचना

हिंदी भाषा में विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्दों के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाकर की जाती है तथा इन सभी के माध्यम से आप विशेषण अभ्यास कर सकते है

संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना

नीचे दी गईं टेबलस मे विशेषण शब्द लिस्ट  है जो बहुत महत्वपूर्ण है
 
संज्ञा विशेषण
कथन कथित
तुंद तुंदिल
धन धनवान
नियम नियमित
प्रसंग प्रासंगिक
प्रदेश प्रादेशिक
बुद्ध बौद्ध
मृत्यु मर्त्य
रसायन रासायनिक
लघु लाघव
वन वन्य
संसार सांसारिक
उपयोग उपयोगी/उपयुक्त
आदर आदरणीय
अर्थ आर्थिक
ईश्वर ईश्वरीय
इच्छा ऐच्छिक
उन्नति उन्नत
क्रोध क्रोधालु, क्रोधी
गुण गुणवान/गुणी


सर्वनाम से विशेषण शब्दों की रचना

 
सर्वनाम विशेषण
कोई कोई-सा
कौन कैसा
मैं मेरा/मुझ-सा
तुम तुम्हारा
जो जैसा
वह वैसा
हम हमारा
यह ऐसा

 

क्रिया से विशेषण शब्दों की रचना

क्रिया विशेषण
भूलना भुलक्क़ड़
पीना पियक्कड़
अड़ना अड़ियल
घटना घटित
पठ पठित
बेचना बिकाऊ
उड़ना उड़ाकू
पत् पतित
खेलना खिलाड़ी
लड़ना लड़ाकू
सड़ना सड़ियल
लूटना लुटेरा
रक्षा रक्षक
कमाना कमाऊ
खाना खाऊ
मिलन मिलनसार

 

अव्यय से विशेषण शब्दों की रचना

अव्यय विशेषण
ऊपर ऊपरी
नीचे निचला
भीतर भीतरी
पीछे पिछला
आगे अगला
बाहर बाहरी

विशेषण की अवस्थाएं या तुलना (Degree of Comparison)

विशेषण(Adjective) की तीन अवस्थाएं होती है –

  1. (i)मूलावस्था (Positive Degree)
  2. (ii)उत्तरावस्था (Comparative Degree) 
  3. (iii)उत्तमावस्था (Superlative Degree)

 

(i) मूलावस्था :-

किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण-दोष बताने के लिए जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है।

इस अवस्था में किसी विशेषण के गुण या दोष की तुलना दूसरी वस्तु से नही की जाती।
इसमे विशेषण अन्य किसी विशेषण से तुलित न होकर सीधे व्यक्त होता है।

कमल ‘सुंदर’ फूल होता है।
आसमान में ‘लाल’ पतंग उड़ रही है।
ऐश्वर्या राय ‘खूबसूरत’ हैं।
वह अच्छी ‘विद्याथी’ है। इसमें कोई तुलना नहीं होती, बल्कि सामान्य विशेषता बताई जाती है।

(ii) उत्तरावस्था :- 

यह विशेषण का वह रूप होता है, जो दो विशेष्यो की विशेषताओं से तुलना करता है।
इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है।

जैसे- तुम मेरे से ‘अधिक सुन्दर’ हो।
वह तुम से ‘सबसे अच्छी’ लड़की है।
राम मोहन से अधिक समझदार हैं।

(iii) उत्तमावस्था :- 

यह विशेषण का वह रूप है जो एक विशेष्य को अन्य सभी की तुलना में बढ़कर बताता है।
इसमें विशेषण द्वारा किसी वस्तु अथवा प्राणी को सबसे अधिक गुणशाली या दोषी बताया जाता है।

जैसे- तुम ‘सबसे सुन्दर’ हो।
वह ‘सबसे अच्छी’ लड़की है।
हमारे कॉंलेज में नरेन्द्र ‘सबसे अच्छा’ खिलाड़ी है।

विशेषण शब्द लिस्ट हिंदी ⤵️

मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
लघु लघुतर लघुतम
अधिक अधिकतर अधिकतम
कोमल कोमलतर कोमलतम
सुन्दर सुन्दरतर सुन्दरतम
उच्च उच्चतर उच्त्तम
प्रिय प्रियतर प्रियतम
निम्र निम्रतर निम्रतम
निकृष्ट निकृष्टतर निकृष्टतम
महत् महत्तर महत्तम

 

विशेषण की रूप रचना

विशेषणों की रूप-रचना निम्नलिखित अवस्थाओं में मुख्यतः संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया में प्रत्यय लगाकर होती है-

विशेषण की रचना पाँच प्रकार के शब्दों से होती है-

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से- 

गाजीपुर से गाजीपुरी, मुरादाबाद से मुरादाबादी, गाँधीवाद से गाँधीवादी।

(2) जातिवाचक संज्ञा से- 

घर से घरेलू, पहाड़ से पहाड़ी, कागज से कागजी, ग्राम से ग्रामीण, शिक्षक से शिक्षकीय, परिवार से पारिवारिक।

(3) सर्वनाम से- 

यह से ऐसा (सार्वनामिक विशेषण), यह से इतने (संख्यावाचक विशेषण), यह से इतना (परिमाणवाचक विशेषण), जो से जैसे (प्रकारवाचक विशेषण), जितने (संख्यावाचक विशेषण), जितना (परिमाणवाचक विशेषण), वह से वैसा (सार्वनामिक विशेषण), उतने (संख्यावाचक विशेषण), उतना (परिमाणवाचक विशेषण)।

(4) भाववाचक संज्ञा से- 

भावना से भावुक, बनावट से बनावटी, एकता से एक, अनुराग से अनुरागी, गरमी से गरम, कृपा से कृपालु इत्यादि।

(5) क्रिया से- 

चलना से चालू, हँसना से हँसोड़, लड़ना से लड़ाकू, उड़ना से उड़छू, खेलना से खिलाड़ी, भागना से भगोड़ा, समझना से समझदार, पठ से पठित, कमाना से कमाऊ इत्यादि।

कुछ शब्द स्वंय विशेषण होते है और कुछ प्रत्यय लगाकर बनते है। जैसे –

(1)’ई’ प्रत्यय से = जापान-जापानी, गुण-गुणी, स्वदेशी, धनी, पापी।
(2) ‘ईय’ प्रत्यय से = जाति-जातीय, भारत-भारतीय, स्वर्गीय, राष्ट्रीय ।
(3)’इक’ प्रत्यय से = सप्ताह-साप्ताहिक, वर्ष-वार्षिक, नागरिक, सामाजिक।
(4)’इन’ प्रत्यय से = कुल-कुलीन, नमक-नमकीन, प्राचीन।
(5)’मान’ प्रत्यय से = गति-गतिमान, श्री-श्रीमान।
(6)’आलु’प्रत्यय से = कृपा -कृपालु, दया-दयालु ।
(7)’वान’ प्रत्यय से = बल-बलवान, धन-धनवान।
(8)’इत’ प्रत्यय से = नियम-नियमित, अपमान-अपमानित, आश्रित, चिन्तित ।
(9)’ईला’ प्रत्यय से = चमक-चमकीला, हठ-हठीला, फुर्ती-फुर्तीला।

विशेषण का पद-परिचय

विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए।

उदाहरण- यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य करायेगा।
इस वाक्य में अमूल्य और थोड़ी-बहुत विशेषण हैं। इसका पद-परिचय इस प्रकार होगा-

अमूल्य- विशेषण, गुणवाचक, पुंलिंग, बहुवचन, अन्यपुरुष, सम्बन्धवाचक, ‘गुणों’ इसका विशेष्य।
थोड़ी-बहुत- विशेषण, अनिश्र्चित संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, कर्मवाचक, ‘जानकारी’ इसका विशेष्य।

विशेष्य किसे कहते है 

 विशेष्य- विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, वे विशेष्य कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में-जिस शब्द की विशेषता प्रकट की जाये, उसे विशेष्य कहते है।
जैसे- उपयुक्त विशेषण के उदाहरणों में ‘गाय’ और ‘आम’ विशेष्य है क्योंकि इन्हीं की विशेषता बतायी गयी है।

प्रविशेषण किसे कहते है 

 कभी-कभी विशेषणों के भी विशेषण बोले और लिखे जाते है। जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते है, वे प्रविशेषण कहलाते है।

जैसे- यह लड़की बहुत अच्छी है।
मै पूर्ण स्वस्थ हुँ।
उपर्युक्त वाक्य में ‘बहुत’ ‘पूर्ण’ शब्द ‘अच्छी’ तथा ‘स्वस्थ’ (विशेषण )की विशेषता बता रहे है, इसलिए ये शब्द प्रविशेषण है।

विशेषण से संबंधित प्रश्न उत्तर जो निम्न है

 

1. विशेषण कितने प्रकार के होते है?

विशेषण मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते है ”

2.  विशेषण की परिभाषा बताइए?


जो शब्द किसी संज्ञा की विशेषता (गुण, धर्म आदि )बताये उसे विशेषण कहते है।

3. विशेषण in English  से आशय?

विशेषण को english मे adjective कहते है 

4. विशेषण कैसे पहचाने?

जैसे – काला कुत्ता। इस वाक्य मे काला विशेषण है 

5. गुणवाचक विशेषण किसे कहते है?


विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द (विशेष्य) के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्वाद, दशा, अवस्था, स्थान आदि की विशेषता प्रकट करते हैं,  “

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 conclusion

प्रिय दोस्तों , मै उम्मीद  करता हूँ की आपको हमारी पोस्ट “visheshan kise kahate hain” जरूर पसंद आयी  होंगी । इसके आलावा visheshan ke bhed visheshan ki paribhasha, गुणवाचक विशेषण के उदाहरण आदि का अध्ययन किया! hindi केटेगरी मे हम हिंदीं के सभी टॉपिक को कवर करने की कौशिश करते हैँ इसलिए अगर आपको यह पोस्ट कुछ हद तक भी फायदेमंद  लगी  हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। मै  हमेशा यही कौशिश करता हू  की “अपने readers को पोस्ट  की संपूर्ण जानकारी आसान और विस्तृत रूप में प्रदान  कर सकूँ । यदि आपको और अधिक जानकारी की आवश्यकता है तो आप यहा क्लिक कर पढ़ सकते है अगर आपको कोई भी उलझन हो तो निचे कमेंट कर सूचित करें, आपको तुरंत सही और सटीक सुचना आपके इच्छित विषय से सम्बंधित दी जाएगी. यदि आप हमसे सम्पर्क करना चाहते है या आपके पास कोई सुझाव है तो आप हमसे ईमेल के जरिये संपर्क   कर सकते है । हम आपके सुझाव का इंतजार रहेगा, शुक्रिया 😊
 

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