इस आर्टिकल के माध्यम से हम हिंदी विषय के बारे में एक महत्वपूर्ण विषय पे ज्ञान अर्जित करेंगे और वह महत्वपूर्ण विषय है Samvad lekhan in hindi; इस विषय पे विस्तार से जान्ने के लिए हम इस आर्टिकल को पूरा पड़ेंगे और जानेंगे की संवाद लेखन इन हिंदी। आपकी जानकारी हेतु हम आपको यह बताना चाहेंगे कि samvad lekhan अन्य विधाओं की तरह ही साहित्य का एक प्रकार है।
यह आर्टिकल संवाद लेखन पर लिखा गया; इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि संवाद लेखन (samvad lekhan in hindi) क्या है?, संवाद लेखन का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?, संवाद लेखन को कौन से घटक बनाते हैं?, इसकी विशेषताएँ, संवाद लेखन करते समय महत्वपूर्ण बातें। अत: आपको “samvad lekhan in hindi” विषय में जान्ने के लिए यह आर्टिकल अवश्य पड़े।
संवाद लेखन का अर्थ (Samvad Lekhan In Hindi)
हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें, दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत को संवाद कहा जाता है, यथार्थ; दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बिच हुई वार्तालाप यानी कि बात-चित, किसी प्रकार के बात-विवाद को संवाद कहते है। संवाद का शाब्दिक अर्थ होता है – बातचीत करना। इस वार्तालाप में दो, या दो से अधिक लोग शामिल हो सकते है; जो आपस में अपने विचारों और भावनाओं को समझाने के लिए बातचीत का प्रयोग करते है। इस वार्तालाप या संवाद कि सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी वार्तालाप जितना ज्यादा सटीक तथ्य भरा होगा, लोगो से जुड़ा सामजिक मुद्दों से सम्बंधित होगा वह उतना ही अधिक आकर्षक होगा और जो संवाद जितना ज्यादा अधिक आकर्षक होगा वह; उस संवाद के प्रति लोगो का खिचाव उतना ही अधिक होगा।
किसी भी संवाद में व्यक्ति के सभी रोचक तथ्यों; सकारात्मक और नकारात्मक गुणों पर उसके व्यक्तित्व के अनुसार चर्चा की जाती है और ध्यान दिया जाता है। इससे विद्यार्थियों की तर्क-वितर्क करने की क्षमता मजबूत होती है। यदि वह वार्तालाप व् संवाद अधिक आकर्षक होगा, लोग के सामाजिक मुद्दों से जुड़ा होगा, उस वार्तालाप का कोई गुण व् अवगुण होगा तो वह उतने ही अधिक लोगो को आकर्षित कर पाएगा। इसकी भाषा सभी प्रकार से बुनियादी होनी चाहिए और व्यक्ति, परिवेश और स्थान के अनुरूप होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बातचीत संक्षिप्त और मुहावरेदार होनी चाहिए। हालाँकि, कभी भी वार्तालाप में अधिक जटिल वाक्यों का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि अधिक कठिन वाक्य या मुहावरेदार प्रयोग हुए वाक्य लोगो कि समझ से परे हो सकते है । आपको बता दें कि आपको बातचीत में कहावतों, अस्पष्ट वाक्यांशों, जादुई वाक्यों और मुहावरों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। क्योंकि यदि श्रोता उन्हें समझ नहीं सकता तो उस संचार का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
संवाद लेखन के दो प्रमुख अंग
संवाद लेखन जो हमारी वार्तालाप का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना हम अपने विचारो को एक दूसरे के समक्ष प्रकट नहीं कर पाते; इसके कुछ जरूरी महत्वपूर्ण बातें इसके अंग को लेके है। निचे संवाद लेखन के निम्नलिखित अंग बताए गए है।
संवाद लेखन के लिए निम्नलिखित दो प्रकार के अंग है; वक्ता और श्रोता।
वक्ता – वक्ता वह व्यक्ति है जो बोलता है। बोलने वाला व्यक्ति संवाद को शुरू करता है।
श्रोता – श्रोता वह व्यक्ति होता है जो सक्रिय रूप से वक्ता कि बातों को सुनता है। श्रोता का मुख्य काम वार्तालाप व् संवाद में कि गई बात-चित को ध्यानपूर्वक सुन्ना व् वक्ता कि बातों और उनके विचारो को ग्रहण करना है।
वक्ता और श्रोता दोनों शुरू से हिन् निश्चिंत नहीं होते है। ये दोनों अपनी-अपनी भूमिका के अनुसार बदलते रहते है; तो यह पे दोनों कि बातों को और उनके विचारो को ग्रहण करना आवश्यक हो जाता है और दोनों अपनी-अपनी भूमिका के अनुसार वक्ता और प्रवक्ता बदलते रहते है।
संवाद के दो प्रमुख रूप
संवाद के कई प्रकार के रूप है जिनमे मुख्यतः दो प्रकार के माने जाते है:-
- मौखिक
- लिखित
मौखिक:
जब किसी विषय पर लिखित रूप से वार्तालाप न करते हुए सीधे तौर पे मुख से संवाद किया जाता है तो वह संवाद का मौखिक रूप कहलाता है। साधारण अर्थो में; जब बातचीत के जरिए मनुष्य अपने भावों व् विचारो को एक दूसरे के समक्ष प्रकट करते है तो उसे मौखिक रूप कहा जाता है।
लिखित:
जब मनुष्य वार्तालाप न करते हुए, मौखिक रूप से संवाद न करते हुए; अपनी बातों को व् विचारो को लिखित तौर पे एक दूसरे के समक्ष प्रकट करते है, तो उसे संवाद का लिखित रूप कहा जाता है।
संवाद लेखन के प्रकार (Types Of Samvad Lekhan)
हम इस अनुभाग में संवाद लेखन (samvad lekhan in hindi) के कई प्रकारों का वर्णन करेंगे। यदि आप विभिन्न प्रकार के संवाद लेखन के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हैं तो आप नीचे दिए गए बिंदुओं को पढ़ सकते हैं। ये विचार निम्नलिखित हैं:
- सामान्य संवाद
- विचार व्यक्त करने वाले संवाद
- औपचारिक कार्य व्यापार के लिए संवाद
- भावनाएं व्यक्त करने वाले संवाद
संवाद लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें
संवाद या किसी भी अन्य प्रकार के वार्तालाप सम्बंधित कुछ विशेष नियम दिए गए है; किसी भी रूप से वार्तालाप करते समय हमे निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना चाहिए:
- आपके द्वारा बोला गया वाक्य; जो संवाद का हिस्सा होगा, वह वाक्य आकर्षक होगा।
- संवाद करते समय सरल उपायों का उपयोग करना चाहिए; जो लोगो को आसानी से समझ आ जाए।
- संवाद में उपयोग कि गई भासा स्पष्ट होनी चाहिए।
- प्रवचन में जितनी बार संभव हो सरल शब्दों का उपयोग करना सबसे अच्छा है।
- मुहावरेदार भाषा विशेष रूप से आकर्षक होती है, इसलिए जब भी संभव हो इसे प्रवचन में अवश्य शामिल करे।
- कोई औपचारिकता आवश्यक नहीं है।
- संवाद हास्यप्रद एवं व्यंग्यात्मक होने चाहिए।
- केवल उचित पूर्ण-विराम चिह्नों का प्रयोग करें।
- जिस विषय या परिस्थिति से चर्चा हो वह स्पष्ट होना चाहिए।
- चर्चा में प्रभावशाली वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
- संवाद में स्थिति के अनुरूप व्यंग्य एवं हास्य का प्रयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष
संवाद हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है; यदि हमारा संवाद व् किसी भी मुद्दे पे कि गई चर्चा आकर्षक व् लोगो के समझने योग्य न हो तो उस संवाद का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। इसीलिए लोग हमारे भावो और विचारो को समझे इसके लिए उचित है हमारा संवाद सरल व् सुशोभित होना चाहिए। अंत: हमने इस लेख के माध्यम से जाना कि संवाद क्या है (samvad lekhan in hindi) और इसके कितने प्रकार है; इसके अतिरिक्त उससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें भी जो इस विषय से सम्बंधित है। हमे उम्मीद है आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा, यह आर्टिकल पड़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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