भाषा मानवता की एक महत्वपूर्ण दिव्य देन है, जिसके माध्यम से हम एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और अपने भावनाओं, विचारों को आदान-प्रदान कर सकते हैं। भाषा के भव्य उपकरणों में से एक ‘ri ki matra wale shabd‘ भी है जो हमारी भाषा को और भी रंगीन बनाती है। यह विशेष मात्रा वाले शब्द हमारे भाषिक सृजनात्मकता को प्रकट करते हैं और हमारी भाषा को अधिक उत्कृष्ट बनाते हैं।
ऋ’ की मात्रा के शब्द जोड़ के आकार में
हिन्दी वर्णमाला के अनुसार हिन्दी में ‘ऋ’ बराबर मात्रा में होते हैं। निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से हम इसे बेहतर ढंग से समझ सकते हैं:
- ऋ + ण = ऋण
- ऋ + क = ऋक
- द + ृ + ढ = दृढ़
- व + ृ + द = वृद
- प + ृ + ष = पृष
- ह + ृ + त = हृत
- म + ृ + ण = मृण
- घ + ृ + त = घृत
- व + ृ + क्ष = वृक्ष
- न + ृ + प = नृप
- क + ृ + प + ा = कृपा
- ऋ + ष + भ = ऋषभ
- म + ृ + द + ा = मृदा
- म + ृ + ध + क = मृधक
- अ + ा + क + ृ + त = आकृत
ऋ की मात्रा वाले शब्द अक्षर से बने हुए
ऋण कृषि | ऋषि कृष्ण | ऋषिकेश कृत्य | ऋक कृष्णा |
कृत्रिम | कृपाण | कृष्कान्त | वृथा |
कृति | कृष | कृपाल | कृपा |
कृपालु | कृपया | कृतज्ञ | कृषक |
घृणित | घृणा | तृप्ति | घृत |
कृग | कृषिमंत्री | गृष्म | गृह |
धृतराष्ट्र | दृढ़ | नेतृत्व | धृता |
गृहत्याग | गृहणी | गृहस्थ | गृहमंत्री |
तृप्त | तृस | तृष्णा | तृषा |
भृंगराज | भृकुटि | मृत्यु | भृत्य |
दृष्टि | तृतीया | दृष्टिकोण | दृश्य |
नृप | नृत्य | नृशंस | नृसिंह |
मृगराज | मृतक | वृक्ष | मृणालिनी |
पितृ | पृथ्वी | भृगु | पृथक |
मृतक | मृत | मृत्युंजय | मृदा |
ऋण | हृदय | ऋषि | ऋषभ |
मातृ | मृत्युदंड | मृदंग | मृदु |
सृष्टि | वृंदावन | पृथ्वीराज | ओलावृष्टि |
वृद्धावस्था | वृद्धि | वृथा | वृद्धा |
अमृत | ऋग्वेद | अतिगृह | अमृतसर |
वृद | वृदि | वृक्षारोपण | वृन्दावन |
मृद्ग | वृत्त | स्मृति | ऋजु |
भृकुटी | स्पृहा | कृदंत | नृत्यांत |
ऋषिकेश | ऋण | ऋचा | ऋतु |
संस्कृति | अमृता | ओलावृति | संस्कृत |
श्रृंगार | परिष्कृत | वृक्षासन | ऋत्विजा |
धूर्त | प्रवृति | कृमि | कृश |
वृष्टि | उत्कृष्ट | गृहात | अतिथिगृह |
अदृश्य | ऋत्विक | प्रतिकृति | शृंखला |
मृत्युलोक | वृक्षावली | कृपाचार्य | पुरावृति |
तृण | कृपाली | मृत्युंजय | वृद्धावस्था |
मृधक | ऋक | पृष | मृत्योर्मुक्षीय |
शृगाल | श्रृंखला | मृदुल | वृतांत |
दो अक्षर वाले ऋ की मात्रा वाले शब्द
मृदु | हृत | मृदा |
मृग | गृह | घृणा |
भृगु | कृति | मातृ |
धृत | ऋतू | कृपा |
कृत | तृण | भृत |
तृषा | दृशा | कृमि |
वृत्त | दृढ | वृथा |
ऋजु | पितृ | कृश |
नृत्य | सृष्टि | तृष्णा |
मृत्यु | कृष्णा | तृप्त |
तीन अक्षर वाले ऋ की मात्रा की मदद से बने कुछ शब्द
कृषक | कृतज्ञ | अमृत |
मृत्यु | कृपाण | सृजन |
हृदय | पृथ्वी | श्रृंखला |
तृतीय | कृष्ण | ऋषभ |
नृत्य | कृत्रिम | वृषभ |
भृकुटी | मृदुल | कृपालु |
श्रृंखला | मृदुल | कृतघ्न |
श्रृंगार | गृहणी | मृदंग |
सृष्टि | तृष्णा | कृपया |
कृष्णा | तृप्त | संस्कृत |
चार अक्षर वाले ऋ की मात्रा वाले शब्द
कृष्णकांत | अतिथिगृह | वृंदावन |
अमृतसर | ऋषिकेश | ऋग्वेद |
वृक्षावली | मृणालिनी | ओलावृष्टि |
कृषिमंत्री | गृहमंत्री | मृणालिनी |
ओलावृति | परिष्कृत | प्रतिकृति |
पुरावृति | मृत्युंजय |
ऋ की मात्रा वाले शब्द से कुछ वाक्य
रानी अब खाना बना रही है।
चिंटू को डांस करना नही आता है।
राहुल अपने खेत मे फसल काट रहा है।
आज हम ऋषिकेष जाएंगे।
कल संस्कृत के श्लोक याद कर के आना है।
राम ने अर्जुन का साथ दिया था।
सोनू गीता से घृणा करता है।
परसो हम नये घर में गृह प्रवेश करने वाले हैं।
कल राम ने अच्छा नृत्य किया था।
पृथ्वी गोल आकर की है।
मैंने आज सुबह वृक्षों को पानी दिया है।
राम अपना खेत जोत रहा है।
निष्कर्ष
Ri Ki Matra Wale Shabd हमारी भाषा की सुनहरी बुनाई को और भी मजबूती देते हैं। इन शब्दों के माध्यम से हम अपने भाषा कौशल को प्रदर्शित कर सकते हैं और अपनी विचारशीलता को प्रकट कर सकते हैं। ri ki matra wale shabd हमारी भाषा की विविधता को और भी गहराई देते हैं और हमें एक नयी दृष्टि से भाषा का आनंद उठाने का मौका देते हैं।
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