अनौपचारिक पत्र क्या है?| How to Write Informal Letter in Hindi?

informal letter in hindi :- पत्र लेखन दो प्रकार के होते है, औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र इस लेख में हम anopcharik patra के बारे पढ़ेंगे।

वैसे तो आज के दौर मे मोबाइल फोन, तथा कम्प्यूटर का इस्तेमाल अधिक है लेकिन फिर भी अनौपचारिक पत्र का महत्व कम नहीं हुआ है। यह पत्र व्यक्तिगत पत्र होते जिनका उपयोग आधिकारिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है।

ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से हम अपने माता – पिता, भाई – बहन, रिश्तेदार और दोस्तों को ये पत्र लिखते हैं। उदाहरण के लिए, यदि हम उन्हें हॉस्टल या कोचिंग में अपनी उपलब्धि के बारे में सूचित करना चाहते हैं, तो हम उन्हें अपनी निजी खबर फैलाने के लिए एक पत्र लिखते हैं। इसके आलावा और भी बहुत से व्यक्तिगत कारण हो सकते है, जिसके लिए हमें अनौपचारिक पत्र लिखने कि आवयश्कता होती है। तो चलिए इसे हम इसके उदाहरण तथा प्रारूप कि मदद से सीखते है।

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Informal letter in hindi

व्यक्तिगत मामलों के सम्बन्ध में माता – पिता, रिश्तेदारो , दोस्तों , जानकारों को लिखे गए पत्र ‘अनौपचारिक पत्र’ कहलाते हैं। इन पत्रों का प्रयोग परिवार की कुशल-क्षेम पूछने, निमन्त्रण देने, सलाह अथवा खेद प्रकट करने के साथ-साथ मन की बातें अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता हैं।

अनौपचारिक पत्रों की भाषा-शैली सरल, सहज एवं घरेलू होती हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं हैं कि पत्र-लेखक जैसी चाहे वैसी भाषा लिख सकता हैं। पत्र लिखने से पहले पत्र के विषय पर ध्यानपूर्वक सोच लेना चाहिए। फिर अपनी बात को उचित ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।

यदि आप अपने माता-पिता, चाचा, मामा तथा अन्य आदरणीय लोगों को पत्र लिखने जा रहे हैं, तो पत्र लिखते समय उनका सम्बोधन जरूरी हैं।

पत्रलेखन सभ्य समाज की एक कलात्मक देन है। मनुष्य चूँकि सामाजिक प्राणी है इसलिए वह दूसरों के साथ अपना सम्बन्ध किसी-न-किसी माध्यम से बनाये रखना चाहता है। मिलते-जुलते रहने पर पत्र लेखन की तो आवश्यकता नहीं होती, पर एक-दूसरे से दूर रहने पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पास पत्र लिखता है।

सरकारी पत्रों की अपेक्षा सामाजिक पत्रों में कलात्मकता अधिक रहती है; क्योंकि इनमें मनुष्य के ह्रदय के सहज उद्गार व्यक्त होते है। इन पत्रों को पढ़कर हम किसी भी व्यक्ति के अच्छे या बुरे स्वभाव या मनोवृति का परिचय आसानी से पा सकते है।

एक अच्छे सामाजिक पत्र में सौजन्य, सहृदयता और शिष्टता का होना आवश्यक है। तभी इस प्रकार के पत्रों का अभीष्ट प्रभाव हृदय पर पड़ता है।

Format of informal letter in hindi

Hindi letter format informal :- निचे हम informal letter in hindi format को देख सकते है कि यह कैसे लिखा जाता है, जिसकी मदद से हम आसानी से किसी को भी अनौपचारिक पत्र लिख सकते है।

format for informal letter in hindi

प्रेषक का पता 
………………
………………. 
………………. 
दिनांक ……………….

संबोधन ………………. 
अभिवादन ………………. 
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशलक्षेम)………………. 
दूसरा अनुच्छेद ………..(विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)…………
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)…………….

प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध 
प्रेषक का नाम …………….

अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें :

  • भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
  • संबंध व आयु के अनुकूल संबोधन, अभिवादन व पत्र की भाषा होनी चाहिए।
  • पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए
  • पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
  • भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
  • पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
  • कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
  • अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।

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अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति, अभिवादन व समाप्ति
(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए :

प्रशस्ति– आदरणीय,
अभिवादन – सलाम । 
समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।

(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए :

प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि। 
अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो,आदि । 
समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।

अनौपचरिक पत्र के मुख्य भाग | anopcharik patra format

अनौपचारिक पत्र को व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसको निम्नलिखित भागों में बाँटा गया हैं-

(1) प्रेषक का पता- 

पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाना चाहिए। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता हैं।

(2) तिथि-दिनांक- 

पत्र के बायीं ओर लिखे प्रेषक के पते के ठीक नीचे तिथि लिखी जानी चाहिए। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा हैं।

(3) सम्बोधन- 

पत्र पर प्रेषक का पता व दिनांक अंकित करने के बाद ‘सम्बोधन’ सूचक शब्दों को लिखना चाहिए। ‘सम्बोधन’ का अर्थ हैं, ‘किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द’।जैसे- आदरणीय, माननीय, स्नेहिल, मित्रवर आदि।

(4) अभिवादन- 

सम्बोधन के नीचे दायीं ओर अभिवादन लिखा जाता हैं। यह सलाम, ख़ुश रहो आदि रूपों में लिखा जाता हैं।

(5) मूल भाग (विषय वस्तु)- 

अभिवादन की औपचारिकता के बाद मूल विषय लिखने का क्रम आता हैं। यह मूल विषय ही पत्र की विषय-वस्तु कहलाती हैं। इसी भाग में पत्र-लेखक को अपनी पूरी बात रखनी होती हैं।

(6) मंगल कामनाएँ- 

विषय वस्तु की समाप्ति के बाद मंगल कामनाएँ व्यक्त की जाती हैं। सामान्यतः मंगल कामनाएँ ‘शुभ कामनाओं सहित’, ‘सस्नेह’, ‘शुभचिन्तक’ आदि के रूप में व्यक्त की जाती हैं।

(7) उपसंहार- 

पत्र की विषय वस्तु, मंगल कामना लिखने के बाद अन्त में प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं। यह पत्र के दायीं ओर लिखा जाता हैं।

(8) हस्ताक्षर- 

पत्र के अन्त में पत्र-लेखक को अपने हस्ताक्षर करना चाहिए। यदि आपको लगता हैं कि पत्र पाने वाला आपको हस्ताक्षर से पहचान पाएगा, तब आप अपने हस्ताक्षर के नीचे अपना नाम भी लिख सकते हैं।

पत्र पूरा लिखने के बाद उसे एक बार पुनः पढ़ लेना चाहिए और यदि कोई बात बतानी रह गई हो तो उसे पुनश्च लिखकर बता देना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र के प्रकार

  1. कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्र
  2. बधाई सम्बन्धी पत्र
  3. शोक/सहानुभूति/संवेदना प्रकट करने सम्बन्धी पत्र
  4. निमन्त्रण पत्र
  5. खेद सम्बन्धी पत्र
  6. सलाह सम्बन्धी पत्र
  7. अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र
  8. धन्यवाद सम्बन्धी पत्र

कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्र

कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिससे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का हाल-चाल जानता हैं। वह जानकारी प्राप्त करता हैं कि अमुक व्यक्ति राजी-ख़ुशी से रह रहा हैं अथवा नहीं।

कुशल-क्षेम सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-

अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए।

वार्ड न. 4,चौपाटी,
खंडेला ।

दिनांक 9|10|21

आदरणीय पिताजी,
अस्सलामुअलैकुम ।

कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर अल्लाह से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी जिम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता हूँ।

घरवाले आपको बहुत याद करते हैं। इस बार घर आते समय सबके लिए कुछ उपहार लेते आइएगा।

आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको स्वास्थ्य से तनिक भी गड़बड़ी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरंत ही अपना उचित इलाज करवाना।

आपके पत्र के जवाब के इन्तजार में।

आपका पुत्र,
मकसूद आलम

बधाई सम्बन्धी पत्र

बधाई पत्रों के द्वारा ख़ुशी का इजहार किया जाता हैं। ये पत्र किसी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामना देने, अच्छी नौकरी मिलने, परीक्षा में सफलता प्राप्त करने, विदेश यात्रा करने, राजनीति में जीत हासिल करने, कोई वाहन खरीदने, घर खरीदने, शादी की वर्षगाँठ मनाने, त्यौहार मनाने आदि के मौके पर लिखे जाते हैं। कुछ बधाई पत्र इस प्रकार हैं-

अपने छोटे भाई को उसकी शादी के उपलक्ष्य में बधाई सम्बन्धी पत्र लिखिए।

वार्ड न 4 चौपाटी
खंडेला ।

दिनांक 9 अक्टूबर 2021

प्रिय अनुज अमन,
अस्सलामुअलैकुम।

पिछले दिनों तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने मुझसे 14 अक्टूबर को खंडेला आने की गुजारिश की हैं। मुझे याद हैं कि 14 अक्टूबर को तुम्हारी शादी हैं और इसलिए तुमने मुझे घर आने के लिए लिखा हैं। शादी के उपलक्ष्य में मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं अल्लाह से यही कामना करता हूँ कि तुम्हारा भावी जीवन सुखद एवं मंगलमय हो। अल्लाह तुम्हारी सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करे।

इस शुभ अवसर के उपलक्ष्य में मैं तुम्हारे लिए चुनी हुई कुछ पुस्तकों का उपहार रजिस्टर्ड डाक से भेज रहा हूँ। मुझे विश्वास हैं कि तुम पुस्तकों में निहित ज्ञान को ग्रहण करके प्रगति के पथ पर आगे बढ़ोगे। अपनी व्यस्तताओं के चलते मैं इस बार तुम्हारी शादी के उपलक्ष्य में वहाँ पर उपस्थित नहीं हो सकता, आशा हैं इसे अन्यथा नहीं लोगे। मेरी दुआ हमेशा तुम्हारे साथ हैं।

घर में सभी को सलाम ।

तुम्हारा भाई,
खालिद

शोक/सहानुभूति/संवेदना प्रकट करने सम्बन्धी पत्र

शोक/संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्र ऐसी स्थिति में प्रेषित किए जाते हैं, जब सामने वाले पर दुःखों का पहाड़ टूटा हो, अथवा स्वयं पर विपदा आई हो। ये पत्र व्यक्ति को दुःख से उबरने, हिम्मत बाँधने, मुश्किल परिस्थितियों का डटकर सामना करने में सहायक होते हैं। अतः ऐसे पत्रों को लिखते समय भाषा-शैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ये पत्र ह्रदयस्पर्शी, गम्भीर एवं संक्षिप्त होने चाहिए। पत्र का प्रत्येक शब्द आत्मीयता, सहृदयता एवं सहानुभूति से परिपूर्ण होना चाहिए। शोक, संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

मित्र की माँ के आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

वार्ड न 4 ,
खंडेला ।

दिनांक 20 अक्टूबर 2021

प्रिय मित्र,
अस्सलामुअलैकुम

मुझे माताजी के आकस्मिक निधन की सूचना प्राप्त हुई। इस सूचना से मेरे हृदय में तीव्र आघात हुआ हैं, मेरी आँखों के आगे से माताजी की सूरत नहीं हट रही हैं। उनकी सौम्य ममता मुझे रुला रही हैं। मैं समझ सकता हूँ कि दुःख की इस घड़ी में तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही होगी।

मित्र, मृत्यु पर किसी का वश नहीं चला हैं, क्योंकि यह एक कटु सत्य हैं कि जो इस संसार में आया हैं, उसे एक दिन यहाँ से जाना ही हैं। अल्लाह माताजी को जन्नत में जगह दे आमीन ।

मित्र, दुःखों का जो पहाड़ तुम पर टूटा हैं, अल्लाह तुम्हें उसे सहन करने की शक्ति दे। मेरी सहानुभूति तुम्हारे साथ हैं।

तुम्हारा मित्र,
शहज़ाद

निमन्त्रण पत्र

निमन्त्रण पत्रों के अन्तर्गत कार्यक्रम आदि के लिए निमन्त्रण का समय, दिन, कार्यक्रम का विवरण आदि लिखा जाता हैं। सामाजिक जीवन में अनेक सुअवसरों पर निमन्त्रण पत्र लिखे जाते हैं। निमन्त्रण पत्र एक प्रकार से व्यक्ति को औपचारिक बुलावा होता हैं। निमन्त्रण पत्र की विशेषता यह हैं कि इसमें सभी के लिए समान सम्मान-सूचक सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं।

अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमन्त्रण पत्र लिखिए।

वार्ड न 4
खंडेला ।

दिनांक 20 अक्टूबर 2021

प्रिय मित्र इमरान ,
अस्सलामुअलैकुम।

कल शाम तुम्हारा स्नेहपूर्ण पत्र मिला। मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुमने अपनी कक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर स्वर्णपदक जीता हैं। कल ही मेरा भी परीक्षा-परिणाम घोषित हुआ था। मैंने अपनी कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया हैं।

जैसा कि तुम जानते हो स्कूल में प्रत्येक वर्ष गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ती हैं। हमारा विद्यालय भी 10 मई से 15 जुलाई तक के लिए बन्द हो रहा हैं। तुम्हारा स्कूल भी इस दौरान बन्द रहेगा। मैं चाहता हूँ कि छुट्टियों के दौरान एक सप्ताह के लिए तुम उत्तराखण्ड आ जाओ। दिनों यहाँ का मौसम काफी अच्छा होता हैं। मेरे चाचा जी आजकल हरिद्वार में ही हैं। अतः कोई परेशानी नहीं होगी। तुम अपने घर पर अपने माता व पिताजी से विचार विमर्श करके अपने आने के कार्यक्रम की अविलम्ब सूचना देना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा परम मित्र,
मंसूर

खेद सम्बन्धी पत्र

खेद सम्बन्धीपत्रों को लिखने की आवश्यकता तब महसूस होती हैं, जब एक व्यक्ति किसी के द्वारा मिले निमन्त्रण पर पहुँचने की स्थिति में नहीं होता। अथवा जब तमाम कोशिशों के बाद भी एक व्यक्ति किसी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तब भी खेद पत्र लिखा जा सकता हैं। इसके अतिरिक्त जब एक व्यक्ति किसी के कार्यों से सन्तुष्ट नहीं होता, तब भी खेद पत्र लिखा जाता हैं।

कुछ खेद सम्बन्धी पत्र इस प्रकार हैं-

अपने मित्र की शादी में न पहुँच पाने की असमर्थता बताते हुए खेद सम्बन्धी पत्र लिखिए।

वार्ड न 12
खंडेला ।

दिनांक 9 अक्टूबर 2021

प्रिय मित्रअब्दुल शमद,
अस्सलामुअलैकुम।

मित्र सबसे पहले मैं तुम्हें तुम्हारी शादी की ढेरों शुभकामनाएँ देना चाहूँगा। मुझे खेद हैं कि मैं तुम्हारी शादी में पहुँच नहीं सका। हालाँकि मुझे तुम्हारी शादी का निमन्त्रण पत्र समय पर मिल गया था, किन्तु काम की व्यस्तताओं में मैं इतना उलझा हुआ था कि चाहकर भी समय नहीं निकाल सका।

जिस दिन तुम्हारी शादी थी, उसी दिन मुझे कम्पनी के काम से खंडेला से बाहर जाना पड़ा था। यदि मैं नहीं जाता, तो कम्पनी का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।

मित्र, मैं समझता हूँ तुम मेरी विवशताओं को समझोगे। एक बार पुनः मैं तुम्हें शादी की शुभकामनाएँ देता हूँ। भाभी को मेरा सलाम कहिएगा।

शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
मुहम्मद इरफ़ान

सलाह सम्बन्धी पत्र

सलाह सम्बन्धीपत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को किसी विषय पर उचित सलाह दी जाती हो ऐसे पत्रों के माध्यम से कई बार व्यक्ति स्वयं भी सलाह लेने की इच्छा प्रकट करता हैं।

संक्षेप में कहा जा सकता हैं कि सलाह लेने अथवा सलाह देने के लिए इन पत्रों का प्रयोग होता हैं।

सलाह सम्बन्धी कुछ पत्र इस प्रकार हैं-

अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

वार्ड न 6,
खंडेला ।

दिनांक 10 अक्टूबर , 2021

प्रिय खुशबु ,
अस्सलामुअलैकुम ।

आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी।

प्रिय खुशबु , तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ हैं, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आजादी का तुम दुरुपयोग मत करना।

बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।

यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना। मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।

शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा भाई,
मुहम्मद शाहिद

अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र

अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिनमें किसी के लिए प्रेरणा सम्बन्धी बातों का उल्लेख किया गया होता हैं। ये पत्र अन्धकार में जी रहे किसी व्यक्ति के जीवन में उम्मीदों का दीया रोशन करने वाले होते हैं।

इन पत्रों में प्रेरक बातों के साथ-साथ व्यक्ति को नई दिशा देने की कोशिश की जाती हैं। इन पत्रों के लेखक का उद्देश्य जिन्दगी से हार मानकर टूट चुके व्यक्ति के मन में हौसला पैदा करना होता हैं। अभिप्रेरणा सम्बन्धी कुछ पत्र इस प्रकार हैं-

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) परीक्षा 20XX की मुख्य परीक्षा में असफल होने पर अपने दुखी मित्र को अभिप्रेरणा देने सम्बन्धी पत्र लिखिए।

वार्ड न, 07
खंडेला ।

दिनांक 11 अक्टूबर 2021

प्रिय मित्र मुहम्मद शमशाद ,
अस्सलामुअलैकुम!

मुझे यह जानकर अत्यन्त दुःख हुआ कि तुम आई.पी.एस. (मुख्य) परीक्षा में असफल हो गए। किन्तु जब मैंने तुम्हारे दोस्तों से सुना कि तुम इस असफलता के कारण अत्यन्त शोक मग्न हो, तुमने खाना-पीना तक छोड़ दिया हैं, तब मन को और अधिक ठेस पहुँची।

मित्र, इस तरह असफल हो जाने से खाना-पीना छोड़ देना कहाँ की बुद्धिमत्ता हैं। अन्न-जल ग्रहण न करने से तुम्हारा स्वास्थ्य ही बिगड़ेगा। दोस्त, इस तरह हार मानना अच्छी बात नहीं हैं। मनुष्य तो वह हैं, जो असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता, बल्कि सफल होने के लिए दोगुना परिश्रम करता हैं।

मित्र, यह जीवन एक कर्मक्षेत्र हैं, जहाँ पग-पग पर मनुष्य के धैर्य और साहस की परीक्षा होती रहती हैं। असफलताएँ वास्तव में, हमारी परीक्षाएँ होती हैं। क्या तुम नहीं जानते सफलता की सीढ़ी कहीं न कहीं असफलता की नींव से होकर गुजरती हैं।

ऐसा नहीं हैं कि हर आदमी को पलक झपकते ही सफलता नसीब हो जाती हैं सफलता की गाथा कहीं न कहीं असफलता के बाद ही लिखी जाती हैं।

मेरे मित्र, यह समय शोक करने का नहीं, बल्कि और अधिक मेहनत करने का हैं। अभी भी तुम्हारे पास सिविल सेवा परीक्षा के दो प्रयास और शेष हैं। मुझे उम्मीद हैं कि तुम अगले वर्ष साक्षात्कार को पार करते हुए सर्वश्रेष्ठ दस सफल प्रतिभागियों में अपना नाम दर्ज करवाओगे।

भावी सफलताओं की शुभकामनाओं।

तुम्हारा हितैषी,
मुहम्मद सलमान

धन्यवाद सम्बन्धी पत्र

धन्यवाद… किसी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक छोटा-सा शब्द हैं। कहने को तो यह मात्र एक छोटा-सा शब्द हैं, किन्तु इसका अर्थ व्यापक हैं।

धन्यवाद दिल से किया जाना चाहिए। बहुत-से व्यक्ति इस बात को भली-भाँति समझते हैं कि यदि किसी ने उनके प्रति कुछ कार्य किया हैं, कुछ उपहार दिया हैं, अथवा ऐसे मौके पर काम आए हैं, जब सब ने साथ छोड़ दिया, तब धन्यवाद देना उनका फर्ज बनता हैं।

धन्यवाद जितनी जल्दी दिया जाए, उतना ही अच्छा होता हैं। बहुत-से व्यक्ति आमने-सामने धन्यवाद दे देते हैं, कुछ पत्रों के माध्यम से धन्यवाद व्यक्त करते हैं।

ऐसे ही धन्यवाद सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण यहाँ दिए गए हैं-

आपकी खोई हुई पुस्तक किसी अपरिचित द्वारा लौटाए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए।

मोहल्ला बणी
सीकर ।

दिनांक 12 अक्टूबर 2021

आदरणीय मुहम्मद शाहरुख़ जी ,
अस्सलामुअलैकुम !

कल मुझे डाक से एक पार्सल मिला। पार्सल खोलने पर मुझे यह देखकर अत्यन्त आश्चर्य हुआ साथ ही प्रसन्नता भी हुई कि उसमें मेरी खोई हुई वही पुस्तक मौजूद थी, जिसके लिए मैं काफी परेशान था। पहले तो मैं विश्वास ही नहीं कर पाया कि वर्तमान युग में भी कोई व्यक्ति इतना भला हो सकता हैं, जो डाक-व्यय स्वयं देकर दूसरों की खोई वस्तु लौटाने का कष्ट करे। मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। यह पुस्तक बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती तथा मेरे लिए यह एक अमूल्य वस्तु हैं। आपने पुस्तक लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। इसके लिए मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा।

एक बार पुनः मैं आपको धन्यवाद करता हूँ।

आपका शुभाकांक्षी,
मुहम्मद जाबिद

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conclusion

लेख से हम informal letter in hindi के बारे में विस्तार से उदाहरण सहित सीखा जिसमे हमने format of informal letter in hindi का भी अध्ययन किया साथ ही साथ anopcharik patra के सभी प्रकार को उदाहरण के साथ पढ़ा इसलिए विधार्थी या सिखने वाला आसानी से सभी प्रकार के अनौपचारिक पत्र खुद से तैयार कर सकता है।

उम्मीद है आपको यह लेख समझ आया। यह हमारी hindi category की पोस्ट है अगर आप hindi Vyakaran से सम्बंधित और लेख पढना चाहते हो या शिक्षा से सम्बंधित और जानकारी चाहते हो तो shikshaportal.in सर्च करके पढ़ सकते हो। शुक्रिया

Frequently ask question about anopcharik patra

Que. 1 अनौपचारिक पत्र में क्या लिखा जाता है?

Ans. पत्र के सबसे ऊपर बाई ओर पत्र लेखक का पता लिखा होता है, उसके निचे दिनांक, उसके निचे सम्बोधन, उसके निचे अभिवादन, फिर उसके निचे मुख्य विषय जिस पर हमें पत्र लिखना होता है।

Que. 2 अनौपचारिक पत्र में सबसे नीचे क्या लिखा जाता है?

Ans. अनौपचारिक पत्र में सबसे नीचे बायीं ओर लेखक का नाम लिखा जाता है।

Que. 3 अनौपचारिक पत्र लेखन के प्रारम्भ में पत्र पाने वाले व्यक्ति के लिये क्या लिखा जाता है?

Ans. अनौपचारिक पत्र लेखन के प्रारम्भ में पत्र पाने वाले व्यक्ति के लिये पत्र लेखक का पता लिखा जाता है। इसके बाद ‘सम्बोधन’ सूचक शब्दों को लिखा जाता है।

Que. 4 व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्र कैसे लिखे जाते है?

Ans. यह अनौपचारिक़ पत्र है, इसलिए इसे भी वैसे ही लिखा जायेगा जैसे ऊपर के कही उदाहरणो मे समझाया गया है।

Que. 5 औपचारिक और अनौपचारिक में क्या अंतर है?

Ans. औपचारिक पत्र ऑफिसियल होते है जबकि अनौपचारिक पत्र व्यक्तिगत पत्र होते है।

Que. 6 विषय कौन से पत्र में लिखा जाता है?

Ans. विषय औपचारिक पत्र में लिखें जाते है।

Que. 7 बड़ों को पत्र लिखते समय संबोधन में क्या लिखा जाता है?

Ans. बड़ों को पत्र लिखते समय संबोधन में आदरणीय, सम्मानीय लिखा जाता है।

Que. 8 कार्यालय पत्र कौन से होते हैं?

Ans. कार्यलय पत्र औपचारिक पत्र में आते है, जो एक कार्यलय से दूसरे कार्यलय को भेजा जाता है।

Que. 9 अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत कौन सा पत्र आता है?

Ans. अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत वैसे तो बहुत पत्र आते है इसलिए निमंत्रण पत्र उनमे से एक है।

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