सीखे सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण : Hindi Vyakaran | Hindi Grammar pdf

Hindi Grammar जिसे Hindi में हिंदी व्याकरण कहते हैं एक व्यापक विषय इसका महत्व भी बहुत ज्यादा हैं क्योंकि हमें शुरुआत कि कक्षा से कम्पटीशन एग्जाम में Hindi Vyakaran से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं और हमें हिंदी व्याकरण अच्छे अंक दिला सकते हैं, इसलिए हमें इसका अध्ययन करना जरूरी हैं।

Hindi Vyakaran हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण अंग है, इसमें हिंदी के सभी स्वरूपों का चार भागो में अध्ययन किया जाता है; जैसे – वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण, शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों, वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है।

जैसा कि इसका महत्व इतना ज्यादा हैं इसलिए हमें इसका ज्ञान होना बहुत जरूरी हैं अगर हम स्टेप बाई स्टेप इसे पढ़ते हैं तों इसको आसानी सीखा जा सकता हैं In sha Allah इसलिए लेख को पूरा पढना बहुत जरूरी हैं।

Hindi Grammar – व्याकरण की परिभाषा

Vyakaran kise Kahate Hain

व्याकरण वह शास्त्र है, जिसके द्वारा भाषा का शुद्ध मानक रूप निर्धारित किया जाता है।

साधारण शब्द में – व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है।

अन्य शब्दों में – वह शास्त्र जिसमें भाषा के शुद्ध रूप का बोध कराने वाले नियम हो उसे व्याकरण कहते हैं।

भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।

कुछ उदाहरण से इसे समझते हैं –

  • लड़की छत पर चढ़ता हैं।
  • वे सभी खाएगा।

पहले वाक्य में यह अशुद्धि हैं कि लड़की स्त्रीलिंग के साथ ‘चढ़ती’ होना चाहिए। शुद्ध वाक्य ऐसे बनेगा – लड़की छत पर चढ़ती हैं।

दूसरे वाक्य में कर्ता बहुवचन हैं इसलिए शुद्ध वाक्य ऐसे बनेगा – वे सभी जाएंगे।

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Hindi Grammar – Vyakaran ke Bhed

व्याकरण हमें भाषा के बारे में जो ज्ञान कराता है उसके तीन अंग हैं- ध्वनि, शब्द और वाक्य। 

व्याकरण में इन तीनों का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जाता है-

  1. वर्ण – विचार
  2. शब्द – विचार
  3. पद – विचार
  4. वाक्य – वचार

1. वर्ण विचार

सबसे पहले हिंदी व्याकरण में वर्ण विचार आता है, जिसमें भाषा की मूल इकाई ध्वनि तथा वर्ण का अध्ययन किया जाता है। वर्ण विचार तीन प्रकार के होते हैं। इसके अंतर्गत हिंदी के मूल अक्षरों का अर्थ, परिभाषा, भेद-उपभेद, उच्चारण, संयोग, वर्णमाला इत्यादि सम्बंधित नियमों का वर्णन किया जाता है।

वर्ण ( Varn ) – अर्थ व परिभाषा

वह मूल ध्वनि जिसका खण्ड ना हो या जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा उसे वर्ण कहते हैँ, जैसे- अ, ई, उ, व्, च्, क्, ख् इत्यादि।

अन्य शब्दों में – ध्वनि का लिखित रूप वर्ण कहलाता हैँ।

वर्ण को ध्वनि या लिपि चिन्ह भी कहते हैँ।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, क्योंकि इसके और खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते।

उदाहरण के लिए – ‘बाज’ और ‘राज’ में चार-चार मूल ध्वनियाँ हैं, जिनके खंड नहीं किये जा सकते-
ब + आ + ज + अ = बाज
र + आ + ज + अ = आज

इन्हीं अखंड मूल ध्वनियों को वर्ण कहते हैं। हर वर्ण की अपनी लिपि होती है। लिपि को वर्ण-संकेत भी कहते हैं। हिन्दी में 52 वर्ण हैं।

वर्णमाला ( Varnamala ) – अर्थ व परिभाषा

वर्णमाला ( Varnamala ) Alphabet in Hindi
वर्णों के व्यवस्थित क्रम को वर्णमाला कहते हैं।

दूसरे शब्दों में – किसी भाषा के समस्त वर्णो के समूह को वर्णमाला कहते हैै।

सामान्य शब्दों में – लिपि चिन्ह के व्यवस्थित क्रम को वर्णमाला कहते हैं।

अन्य शब्दों में – ध्वनि के व्यवस्थित क्रम को वर्णमाला कहते हैं।

हर भाषा की अपनी अपनी वर्णमाला होती है, जैसे –
हिंदी- अ, आ, क, ख, ग….. = देवनागरी लिपि
English – A, B, C, D, E…. = Roman lipi

हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। जिसमे 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं जिसमे 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।

Hindi Varnamala – स्वर और व्यंजन

स्वर:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
व्यंजन:
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व
श, ष, स, ह
क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

वर्ण के भेद – Varn ke Bhed

हिंदी भाषा में वर्ण दो प्रकार के होते है-

  1. स्वर ( vowel )
  2. व्यंजन ( Consonant )
1. स्वर ( Swar ) : Vowels in Hindi

वे वर्ण या ध्वनि जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण या ध्वनि की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है।

दूसरे शब्दों में – वे सभी वर्ण या ध्वनि जिनको स्वतंत्र रूप से बोला जाता हैँ, स्वर कहलाते हैँ।

इसके उच्चारण में कंठ, तालु का उपयोग होता है, जीभ, होठ का नहीं।

हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर है

जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ।

नोट : – ऋ और लृ एवं लृ दोनों का प्रयोग अब नहीं होता है।

स्वर के भेद | Swar ke Bhed

स्वर के दो भेद होते है-
(i) मूल स्वर
(ii) संयुक्त स्वर

(i) मूल स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ

(ii) संयुक्त स्वर:- ऐ (अ +ए) और औ (अ +ओ)

मूल स्वर के भेद

मूल स्वर के तीन भेद होते है –
(i) ह्स्व स्वर
(ii) दीर्घ स्वर
(iii)प्लुत स्वर

(i) ह्रस्व स्वर : जिन स्वरों के उच्चारण अन्य स्वरों की तुलना में कम समय लगता है उन्हें ह्स्व स्वर कहते है।
ह्स्व स्वर चार होते है – अ आ उ ऋ।

‘ऋ’ की मात्रा (ृ) के रूप में लगाई जाती है तथा उच्चारण ‘रि’ की तरह होता है।

(ii) दीर्घ स्वर : वे स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दोगुना समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है।

दीर्घ स्वर सात होते है -आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

दीर्घ स्वर दो शब्दों के योग से बनते है।
जैसे- आ =(अ +अ )
ई =(इ +इ )
ऊ =(उ +उ )
ए =(अ +इ )
ऐ =(अ +ए )
ओ =(अ +उ )
औ =(अ +ओ )

(iii) प्लुत स्वर : वे स्वर जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय यानी तीन मात्राओं का समय लगता है, प्लुत स्वर कहलाते हैं।

सरल शब्दों में- जिस स्वर के उच्चारण में तिगुना समय लगे, उसे ‘प्लुत’ कहते हैं।

इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता है। जैसे- सुनोऽऽ, शाऽऽम, पोऽऽम्।

हिन्दी में साधारणतः प्लुत का प्रयोग नहीं होता। वैदिक भाषा में प्लुत स्वर का प्रयोग अधिक हुआ है। इसे ‘त्रिमात्रिक’ स्वर भी कहते हैं।

अं, अः अयोगवाह कहलाते हैं। वर्णमाला में इनका स्थान स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले होता है। अं को अनुस्वार तथा अः को विसर्ग कहा जाता है।

2. व्यंजन ( Vyanjan ) : Consonant in Hindi

अर्थ,परिभाषा एवं प्रकार

वे सभी वर्ण जिनको बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पड़ती है उन्हें व्यंजन कहते है।
दूसरे शब्दो में- व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं, जिनके उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती है।
अन्य शब्दों में - वे सभी वर्ण जिन्हे स्वतंत्र रूप से नहीं बोल सकते व्यंजन कहलाते हैँ।

जैसे- क, ख, ग, च, छ, त, थ, द, भ, म इत्यादि।

‘क’ से विसर्ग ( : ) तक सभी वर्ण व्यंजन हैं। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी रहती है। ‘अ’ के बिना व्यंजन का उच्चारण सम्भव नहीं।

जैसे- ख्+अ=ख, प्+अ =प। व्यंजन वह ध्वनि है, जिसके उच्चारण में भीतर से आती हुई वायु मुख में कहीं-न-कहीं, किसी-न-किसी रूप में, बाधित होती है। स्वरवर्ण स्वतंत्र और व्यंजनवर्ण स्वर पर आश्रित है। हिन्दी में व्यंजनवर्णो की संख्या 33 है।

व्यंजनों के प्रकार – Vyanjan ke Bhed

व्यंजनों तीन प्रकार के होते है-
(1)स्पर्श व्यंजन
(2)अन्तःस्थ व्यंजन
(3)उष्म व्यंजन

(1) स्पर्श व्यंजन
स्पर्श का अर्थ होता है छूना, जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के किसी भाग जैसे- कण्ठ, तालु, मूर्धा, दाँत, अथवा होठ का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है।
दूसरे शब्दो में- ये कण्ठ, तालु, मूर्द्धा, दन्त और ओष्ठ स्थानों के स्पर्श से बोले जाते हैं। इसी से इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।

इन्हें हम 'वर्गीय व्यंजन' भी कहते है; क्योंकि ये उच्चारण-स्थान की अलग-अलग एकता लिए हुए वर्गों में विभक्त हैं।

ये 25 व्यंजन होते है

क वर्गक ख ग घ ङ ये कण्ठ का स्पर्श करते है।
च वर्गच छ ज झ ञ ये तालु का स्पर्श करते है।
ट वर्गट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़) ये मूर्धा का स्पर्शकरते है।
त वर्गत थ द ध न ये दाँतो का स्पर्श करते है।
प वर्गप फ ब भ म ये होठों का स्पर्श करते है।
(2) अन्तःस्थ व्यंजन :

‘अन्तः’ का अर्थ होता है- ‘भीतर’। उच्चारण के समय जो व्यंजन मुँह के भीतर ही रहे जाते हैँ उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है।

अन्तः = मध्य/बीच, स्थ = स्थित। इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का-सा होता है। उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को स्पर्श नहीं करती।

ये व्यंजन चार होते है- य, र, ल, व। इनका उच्चारण जीभ, तालु, दाँत और ओठों के परस्पर सटाने से होता है, किन्तु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता। अतः ये चारों अन्तःस्थ व्यंजन ‘अर्द्धस्वर’ कहलाते हैं।

(3) उष्म व्यंजन :

उष्म का अर्थ होता है- गर्म। जिन वर्णो के उच्चारण के समय हवा मुँह के विभिन्न भागों से टकराये और साँस में गर्मी पैदा कर दे, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है।

ऊष्म = गर्म। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गर्म हवा निकलती है।

उष्म व्यंजनों का उच्चारण एक प्रकार की रगड़ या घर्षण से उत्पत्र उष्म वायु से होता हैं।
ये भी चार व्यंजन होते है- श, ष, स, ह।

उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण

व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा मुख के अलग-अलग भागों से टकराती है।

उच्चारण के अंगों के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण इस प्रकार है :

(i) कंठ्य (गले से) – क, ख, ग, घ, ङ

(ii) तालव्य (कठोर तालु से) – च, छ, ज, झ, ञ, य, श

(iii) मूर्धन्य (कठोर तालु के अगले भाग से) – ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, ष

(iv) दंत्य (दाँतों से) – त, थ, द, ध, न

(v) वर्त्सय (दाँतों के मूल से) – स, ज, र, ल

(vi) ओष्ठय (दोनों होंठों से) – प, फ, ब, भ, म

(vii) दंतौष्ठय (निचले होंठ व ऊपरी दाँतों से) – व, फ

(viii) स्वर यंत्र से – ह

2. शब्द विचार

हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है शब्द विचार जिसमें शब्द का अर्थ, परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों अध्ययन किया जाता है।

शब्द की परिभाषा – एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र ध्वनि जिसका सार्थक अर्थ निकलता हो शब्द कहलाता है।

दूसरे शब्दों में – वर्णो या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका सार्थक अर्थ निकलता हो उस समूह को शब्द कहते हैं।

जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द - न (नहीं), व (और)
अनेक वर्णों से निर्मित शब्द- हाशिम , काला ,पेड़, पंखा आदि।

शब्द के भेद

  1. बनावट या रचना के आधार पर
  2. अर्थ के आधार पर
  3. प्रयोग के आधार पर
  4. उत्पत्ति के आधार पर
बनावट या रचना के आधार पर शब्द भेद

रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद होते हैं –

  1. रूढ़ शब्द
  2. यौगिक शब्द
  3. योगरूढ़ शब्द
अर्थ के आधार पर

अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं –

  1. सार्थक शब्द
  2. निरर्थक शब्द
प्रयोग के आधार पर

प्रयोग के आधार पर शब्द के 8 भेद होते हैं –

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. क्रिया
  5. क्रिया-विशेषण
  6. संबंधबोधक
  7. समुच्चयबोधक
  8. विस्मयादिबोधक

इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. विकारी शब्द
  2. अविकारी शब्द
विकारी शब्द

जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे,हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं।

इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।

अविकारी शब्द

जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य, और, हे अरे आदि।

इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।

उत्पत्ति के आधार पर

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के 4 भेद होते हैं –

  1. तत्सम शब्द
  2. तद्भव शब्द
  3. देशज शब्द
  4. विदेशी या विदेशज शब्द

3. पद विचार

सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, पर जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह स्वतंत्र नहीं रहता बल्कि व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और प्रायः इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।
हिन्दी में पद पाँच प्रकार के होते हैं-

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. क्रिया
  5. अव्यय

4. वाक्य विचार

वाक्य विचार हिंदी व्याकरण में तीसरा खंड है जिसमें वाक्य का अर्थ, परिभाषा, भेद-उपभेद, संरचना आदि से संबंधित नियमों का अध्ययन किया जाता है।

Vakya – वाक्य कि परिभाषा

शब्दों का ऐसा समूह जिससे पूर्ण सार्थक अर्थ निकलता हो वाक्य कहलाता हैं।

दूसरे शब्दों में – ऐसा शब्द समूह जिससे सब समझ में आ जाए वाक्य कहलाता हैं।

अन्य शब्दों में – अनेक शब्दों को मिलाकर वाक्य बनता है। ये शब्द मिलकर किसी अर्थ का ज्ञान कराते है।

उदाहरण के लिए

  • हाशिम क्रिकेट खेलता हैं
  • वह बाजार जा रहें हैं
  • काशिम पढ़ाई कर रहा हैं आदि।
वाक्य के भेद
  1. उद्देश्य
  2. विधेय
उद्देश्य के भाग

उद्देश्य के दो भाग होते हैं –

  1. कर्ता
  2. कर्ता का विशेषण या कर्ता से संबंधित शब्द
विधेय के भाग

विधेय के छः भाग होते हैं –

  1. क्रिया
  2. क्रिया के विशेषण
  3. क्रम
  4. कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
  5. पूरक
  6. पूरक के विशेषण
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद

अर्थ के आधार पर आठ प्रकार के वाक्य होते हँ-

  1. विधानवाचक वाक्य
  2. संकेतवाचक वाक्य
  3. निषेधवाचक वाक्य
  4. प्रश्नवाचक वाक्य
  5. विस्म्यादिवाचक वाक्य
  6. आज्ञावाचक वाक्य
  7. इच्छावाचक वाक्य
  8. संदेहवाचक वाक्य।
रचना के आधार पर वाक्य भेद

रचना के आधार पर तीन प्रकार के वाक्य होते हँ-

  1. साधारण वाक्य या सरल वाक्य
  2. मिश्रित वाक्य
  3. संयुक्त वाक्य

Hindi Grammar – All Chapter

  • भाषा (Language)
  • व्याकरण ( Vyakaran )
  • वर्ण विचार
  • शब्द विचार
  • पद विचार
  • वाक्य विचार
  • वर्ण, वर्णमाला (Alphabet)
  • संज्ञा
  • सर्वनाम
  • विशेषण
  • क्रिया
  • क्रिया-विशेषण
  • संबंधबोधक
  • समुच्चयबोधक
  • विस्मयादिबोधक
  • कारक (Case)
  • मुहावरे
  • पर्यायवाची शब्द
  • विलोम/विपरीतार्थक शब्द
  • वचन
  • संख्याए
  • धातु (Stem)
  • काल (Tense)
  • अव्यय (Indeclinable)
  • प्रत्यय (Suffix)
  • उपसर्ग (Prefixes)
  • लिंग (gender)
  • समास (Compound)
  • रस (Sentiments)
  • छन्द (Metres)
  • अलंकार (Figure of speech)
  • एकार्थक शब्द
  • अनेकार्थी शब्द
  • संधि (Seam )
  • संधि विच्छेद
  • वाक्य विश्लेषण
  • उपवाक्य (Clause)
  • युग्म शब्द
  • लोकोक्तियाँ
  • वाक्य शुद्धि (Sentence-Correction)
  • शब्दों की अशुद्धियाँ
  • वाच्य (Voice)
  • शब्द (Etymology)
  • शब्द शक्ति (Word-Power)
  • भावार्थ (Substance)
  • शब्दार्थ
  • विराम चिह्न (Punctuation Mark)
  • श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द (Homonyms Words)
  • व्याख्या (Explanation)
  • मौखिक अभिव्यक्ति (Oral Expression)
  • पाठ-बोधन (Reading Comprehension)
  • पदबंध (Phrase)
  • अनुवाद (Translation)
  • अनुच्छेद लेखन (Paragraph Writing)
  • उच्चारण और वर्तनी
  • टिप्पण लेखन (Noting)
  • तार लेखन (Telegram)
  • कहानी-लेखन (Story-Writing)
  • पत्र-लेखन (Letter-writing)
  • निबन्ध-लेखन (Essay-writing)
  • विज्ञापन लेखन
  • सूचना लेखन

भाषा किसे कहते हैँ? | भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषता, प्रकार व उदाहरण : Bhasha

किसी भी प्रकार की भाषा ( Bhasha ) को शुद्ध लिखने व बोलने के उसके कुछ नियम होते हैँ इसी प्रकार हिंदी भाषा को भी शुद्ध लिखने तथा बोलने के लिए हिंदी व्याकरण के रूप में नियम होते हैँ इसलिए इनका अध्ययन करना जरूरी होता हैँ।

हिंदी वर्णमाला अर्थ प्रकार व उदाहरण : स्वर और व्यंजन | Hindi Varnamala Chart

Hindi Varnamala – किसी भी भाषा कि शुद्धता व नियम को व्याकरण के माध्यम से समझा जाता हैँ इसी प्रकार हिंदी भाषा को शुद्ध लिखने व बोलने संबंधि नियम भी हिंदी व्याकरण में सम्मिलित होते हैँ इसलिए इसका अध्ययन किया जाता हैँ।

संज्ञा किसे कहते हैँ – वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, भाव, या स्थान के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में – किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

सर्वनाम किसे कहते हैं? | परिभाषा, भेद
और उदाहरण | Sarvanam in Hindi

संज्ञा के स्थान पर परयुक्त होने वाले शब्दों को sarvanam (सर्वनाम) कहते है।
सर्व का अर्थ है सबका यानी जो शब्द सब नामों (संज्ञाओं) के स्थान पर प्रयुक्त हो सकते हैं,  sarvanam (सर्वनाम) कहलाते हैं । दूसरे शब्दों में,जैसे- मैं, हम, तू, तुम, वह, यह, आप, कौन, कोई, जो इत्यादि ।

Visheshan kise kahate hain | visheshan ke bhed

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताते है उन्हें विशेषण कहते है।
इसे हम ऐसे भी कह सकते है – जो शब्द किसी संज्ञा की विशेषता (गुण, धर्म आदि )बताये उसे विशेषण कहते है।
दूसरे शब्दों में- विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है, जो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।

kriya kise kehte Hain? | Hindi vyakaran

kriya वह शब्द या शब्दों का समूह है, जो किसी व्यक्ति या वस्तु के सम्बंद में कुछ बताये या उनके द्वारा किये गए किसी कार्य को प्रकट करते है।
क्रिया से आशय ऐसे शब्द या पद से जिससे किसी कार्य के होने या किए जाने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं

क्रिया विशेषण : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

क्रिया विशेषण वह शब्द होते हैं जो हमें क्रिया की विशेषता बताते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है, उन शब्दों को हम क्रिया विशेषण कहते हैं।

संबंधबोधक अव्यय की सम्पूर्ण जानकारी | Hindi Grammar

जो शब्द संंज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
जो अविकारी शब्द संज्ञा, सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ सम्बन्ध बताए उसे संबंधबोधक कहते हैं।

ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्द, वाक्य या वाक्यांशों को जोड़ने का काम करते हैं, वे शब्द समुच्चयबोधक कहलाते हैं। इन समुच्चयबोधक शब्दों को योजक भी कहा जाता है।
जैसे: और, व, एवं, तथा, या, अथवा, किन्तु, परन्तु, कि, क्योंकि, जो कि, ताकि, हालाँकि, लेकिन, अत:, इसलिए आदि।

विस्मयादिबोधक अव्यय की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण | Hindi Grammar

वह शब्द जिससे हर्ष अर्थात खुशी, शोक अर्थात दुख, आश्चर्य, आशीर्वाद इत्यादि जैसे भावनाओं का आकस्मिक भाव प्रकट हो विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाता है।

जानें कारक की परिभाषा, भेद और उदाहरण विस्तार से | Hindi Grammar

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य का सम्बन्ध किसी दूसरे शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक ( Karak ) कहते हैं।
कारक( Karak ) संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वह रूप होता है जिसका सीधा सम्बन्ध क्रिया से ही होता है।
किसी कार्य को करने वाला कारक यानि जो भी क्रिया को करने में मुख्य भूमिका निभाता है, वह कारक( Karak ) कहलाता है।

300+ हिंदी मुहावरे – हिंदी में मुहावरे | Hindi Grammar

मुहावरा” अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “आदि होना” या “अभ्यास होना” कुछ विद्वान इसे वाग्धारा भी कहते है। मुहावरा शब्द सामान्य अर्थ से अलग विशेष अर्थ को प्रकट करता है। हम अपने दैनिक जीवन में कहीं बार अपने मन के भाव या विचारों को मुहावरों के शब्दों का प्रयोग करके प्रकट करते हैं। मुहावरे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं होते इनका प्रयोग वाक्य सौंदर्य को बढ़ाने में किया जाता है। 

200+ पर्यायवाची शब्द | Paryayvachi shabd | Synonyms meaning in Hindi | Hindi Grammar

synonyms meaning in hindi समान अर्थ रखने वाले शब्दों को ‘पर्यायवाची शब्द’ या समानार्थी शब्द भी कहते है।
जैसे- आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर।- इन सभी शब्दों का अर्थ है ‘अलंकार‘ ।
इस प्रकार ये सभी शब्द ‘अलंकार‘ के पर्यायवाची शब्द कहलायेंगे।

वचन की परिभाषा, भेद और प्रयोग के नियम | Hindi Grammar

संज्ञा के जिस रुप से संख्या का बोध होता हो उसे वचन (Vachan) कहते हैं। वचन का प्रयोग संख्या का बोध करवाने के लिए किया जाता है। मूल भाषा संस्कृत भाषा में तीन वचन (Vachan) होते हैं, लेकिन हिंदी व्याकरण में वचन दो ही होते हैं। संस्कृत भाषा का तीसरा वचन द्विवचन हिंदी में प्रयुक्त नहीं होता है। वचन का प्रभाव संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया पर पड़ता है।

Hindi Ginti 1 to 100 Plus -1 से 100 तक हिंदी गिनती सीखने का सबसे आसान तरीका

 किसी संख्या या मात्रा आदि को गिनने की प्रक्रिया को गिनती कहते हैं, तथा इसे हिंदी में गिनने की प्रक्रिया को हिंदी गिनती और अंग्रेजी में इसे counting कहते हैं। उदाहरण के लिए १,२,३,४,५ या एक, दो, तीन, चार, पांच आदि।

धातु किसे कहते है तथा इसके कितने भेद होते है? | Hindi Grammar

क्रियापद का वह अंश जो क्रिया के प्राय: सभी रूपों में पाया जाता है, उसे धातु कहा जाता है। सधारण शब्दों में कहा जाये तो ‘जिन शब्दों से क्रिया बनती है, वह मूल अक्षर ही धातु कहलाते है। ‘
पढ़, आ, जा, पी, खा, लिख आदि। 

काल किसे कहते हैं? | Hindi Grammar

क्रिया के जिस रूप में कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है, उसे kaal in Hindi कहा जाता है। क्रिया के उस रूपांतर को काल कहा जाता है जिससे उसके कार्य व्यापार का समय और उसके पूर्ण अथवा अपूर्ण आस्था का बोध होता हो। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो काल का अर्थ होता है ‘समय‘।

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Final Words As Conclusion – निष्कर्ष

हिंदी व्याकरण को सीखना आसान हैं और यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय हैं क्योंकि इससे हमें भाषा को शुद्ध बोलने तथा लिखने संबंधित नियम मिलते हैं और Hindi grammar से संबधित सभी प्रकार कि परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं।

इस लेख में हमने हिंदी ग्रामर को विस्तार से पढ़ा जिसमें इसकी परिभाषा, वर्गीकरण, प्रकार एवं उदाहरण शामिल हैं, अगर आप भी Hindi Vyakaran को स्टेप बाई स्टेप पढ़ेंगे तों आप भी इसे सीख सकते हैं।

FAQ – Hindi Grammar
हिंदी व्याकरण में क्या क्या आता है?

हिंदी व्याकरण में निम्नलिखित प्रमुख विषय आते है –
भाषा (Language)
व्याकरण ( Vyakaran )
वर्ण विचार
शब्द विचार
पद विचार
वाक्य विचार
वर्ण, वर्णमाला (Alphabet)
संज्ञा
सर्वनाम
विशेषण
क्रिया
क्रिया-विशेषण
संबंधबोधक
समुच्चयबोधक
विस्मयादिबोधक
कारक (Case)
मुहावरे
पर्यायवाची शब्द
वचन
संख्याए
धातु (Stem)
काल (Tense)
अव्यय (Indeclinable)
प्रत्यय (Suffix)
उपसर्ग (Prefixes)
लिंग (gender)
समास (Compound)
रस (Sentiments)
छन्द (Metres)
अलंकार (Figure of speech)
एकार्थक शब्द
अनेकार्थी शब्द
संधि (Seam )
संधि विच्छेद
वाक्य विश्लेषण
उपवाक्य (Clause)
युग्म शब्द
लोकोक्तियाँ
वाक्य शुद्धि (Sentence-Correction)
शब्दों की अशुद्धियाँ
वाच्य (Voice)
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हिंदी में व्याकरण के कितने भेद होते हैं?

हिंदी में व्याकरण के चार भेद होते हैं –
1. वर्ण विचार
2. शब्द विचार
3. पद विचार
4. वाक्य विचार

भारत में कितनी बोलियां हैं?

भारत में प्रमुख लगभग 21 आधुनिक भारतीय भाषाएं शामिल हैं: असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कश्मीरी, कन्नड़, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, संताली , सिंधी और उर्दू, आदि बोलियां हैं?

विश्व में हिंदी का स्थान कौन सा है?

2020 के अनुसार दुनिया भर में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में हिंदी तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज में बताया गया है कि दुनियाभर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है. ( सोर्स – Aajtak

व्याकरण वह विद्या या ज्ञान है जो हमें हिन्दी भाषा को शुद्ध बोलना, पढ़ना तथा लिखना सीखता हो, उसे व्याकरण कहते हैं। हिंदी व्याकरण के मुख्य तौर पर चार अंग होते हैं जिनके नाम वर्ण-विचार, शब्द-विचार, पद – विचार तथा वाक्य विचार है।

व्याकरण का दूसरा नाम क्या है?

व्याकरण का दूसरा नाम “शब्दानुशासन” भी है। वह शब्दसंबंधी अनुशासन करता है , बतलाता है कि किसी शब्द का किस तरह प्रयोग करना चाहिए।

भाषा के कितने रूप होते हैं?

भाषा के मुख्य तीन रूप होते हैं
एक मौखिक भाषा
दूसरा लिखित भाषा और
तीसरा सांकेतिक भाषा जिसका इस्तेमाल करके हम अपने समाज में अपने विचारों को प्रकट करते हैं।

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