Learn letter in Hindi format, all format of letter in Hindi, Hindi letter format, पत्र लेखन क्या है? इसे कैसे लिखा जाता हैं, इन सभी कि जानकारी हम विस्तार से पढ़ने वाले हैं।
पत्र लेखन एक कला हैं, patra lekhan को लिखने के लिए एक अच्छा प्रारूप तैयार करना बहुत जरूरी होता हैं। जितना अच्छा पत्र लेखन का प्रारूप होगा वह उतना ही ज्यादा प्रभावी होगा।
पत्र दो प्रकार के होते हैं, 1. औपचारिक 2. अनौपचारिक इनके भी कही प्रकार होते हैं, सबका अपना-अपना महत्व होता हैं लिखने का तरीका तथा प्रारूप अलग-अलग होता हैं। इसलिए इस लेख के माध्यम से हम सभी प्रकार के पत्रों के प्रारूप को उदाहरण के साथ आसान भाषा शैली में सीखेंगे।
सब यह पढ़ रहे हैं आप भी पढ़िए
- सीखे पत्र लेखन क्या हैँ? | What is letter in Hindi with format?
- सीखे औपचारिक पत्र क्या हैँ? | What is formal letter in hindi?
- अनौपचारिक पत्र क्या है?| how to write informal letter in hindi
Table of Contents
Format of letter in Hindi ( Hindi letter Format ) – पत्र का प्रारूप
Letter Format in Hindi
पत्र लेखन का प्रारूप –
विषय, संदर्भ, व्यक्ति और क्षेत्र के अनुसार अनेक प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी भिन्न-भिन्न होता है। यहाँ हम व्यावसायिक (औपचारिक) तथा निजी (अनौपचारिक) पत्रों के लिखने के लिए आवश्यक तथ्यों-संकेतों पर प्रकाश डालेंगे
(क) प्रेषक का नाम व पता– पत्रों में सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम व पता दिया होता है ताकि पाने वाला पत्र देखते ही समझ जाए कि पत्र किसने भेजा है और कहाँ से आया है? प्रेषक का नाम व पता ऊपर की ओर दाएँ कोने में दिया जाता है। पते के नीचे टेलीफ़ोन नंबर तथा उसके नीचे दिनांक के लिए स्थान निर्धारित रहता है। सरकारी पत्रों में उसके ठीक सामने बाईं ओर पत्र का संदर्भ व पत्र-संख्या लिखी जाती है।
(ख) पाने वाले का नाम व पता– प्रेषक के बाद पृष्ठ की बाईं ओर पत्र पाने वाले का नाम व पता लिखा जाता है। नाम की जगह कभी-कभी केवल पदनाम भी लिखते हैं। कभी-कभी नाम व पदनाम दोनों भी लिखा जाता है अर्थात् पाने वाले का पूरा विवरण इस प्रकार होना चाहिए- नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, स्थान, जिला शहर और पिन-कोड।
(ग) विषय-संकेत – औपचारिक पत्रों में यह आवश्यक होता है कि जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है, उस विषय को अत्यंत संक्षेप में पाने वाले के नाम और पते के पश्चात् बाएँ ओर से ‘विषय’ शीर्षक देकर लिखना चाहिए। इससे पत्र देखते ही पता चल जाता है कि मूल रूप में पत्र का विषय क्या है।
(घ) संबोधन-विषय के बाद पत्र के बाईं ओर संबोधन सूचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत पत्र में प्रिय लिखकर प्राप्तकर्ता का नाम या उपनाम दिया जाता है; जैसे-‘प्रिय मुहम्मद सॉयल ‘, ‘प्रिय गल्फ ‘ आदि। अपने से बड़ों के लिए प्रिय के स्थान पर आदरणीय आदि शब्दों का प्रयोग होता है। सरकारी पत्रों में यह कार्य ‘प्रिय महोदय’ या प्रिय महोदया के द्वारा संपन्न कर लिया जाता है।
(ङ) पत्र की मुख्य सामग्री-संबोधन के पश्चात् पत्र की मूल सामग्री लिखी जाती है। आवश्यकता, समय तथा परिस्थिति के अनुसार विषय में परिवर्तन होता रहता है।
(च) समापन सूचक शब्द -पत्र की सामग्री समाप्त होने पर प्रेषक प्राप्तकर्ता से अपने संबंध और विषय की औपचारिकता अनौपचारिकता के अनुसार कुछ समापन सूचक शब्दों का प्रयोग कर पत्र समाप्त करता है। बड़ों के लिए आपका आज्ञाकारी’, ‘आपका प्रिय’, बराबर वालों के लिए ‘स्नेहशील’, ‘स्नेही’ और छोटों के लिए ‘शुभचिंतक’, ‘ जैसे शब्द प्रयोग किये जाते हैं।
(छ) हस्ताक्षर और नाम– समापन शब्द के ठीक नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के ठीक नीचे कोष्ठक में भेजने वाले का पूरा नाम व पता भी अवश्य दिया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि हस्ताक्षर प्रायः सुपाठ्य नहीं होते, अतः प्रेषक का नाम भी लिखा होना चाहिए।
(ज) संलग्नक– सरकारी-पत्रों में प्रायः मूलपत्र के साथअन्य आवश्यक कागजात भी भेजे जाते हैं। इन्हें उस पत्र के ‘संलग्न पत्र’ या ‘संलग्नक’ कहते हैं। इस स्थिति में समापन सूचक शब्द के ठीक बाएँ और थोड़ा नीचे ‘संलग्नक’ शीर्षक देकर उसके आगे संख्या 1, 2, 3, के द्वारा संकेत दिया जाता है।
(झ) पुनश्च– कभी-कभी पत्र लिखते समय मूल सामग्री में से किसी महत्त्वपूर्ण अंश के छूट जाने पर इसका प्रयोग होता है। ‘समापनसूचक शब्द’, ‘हस्ताक्षर’, ‘संलग्नक’ आदि सब कुछ लिखने के पश्चात् कागज पर अंत में सबसे नीचे या उसके पृष्ठ भाग पर ‘पुनश्च’ शीर्षक देकर छूटी हुई सामग्री लिखकर एक बार पुनः हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं।
जैसा कि हम पढ़ चुके हैं, पत्र दो प्रकार के होते हैं, इसलिए हम सबसे पहले औपचारिक पत्रों के प्रारूप को उदाहरण के साथ सीखेंगे कि यह कैसे लिखा जाता हैं।
Formal letter format in Hindi | औपचारिक पत्र का प्रारूप
प्रार्थना-पत्र के रूप में
प्रधानाचार्य,
विद्यालय का नाम व पता………….
विषय : (पत्र लिखने के कारण)।
माननीय महोदय,
पहला अनुच्छेद ……………………………
दूसरा अनुच्छेद …………………………….
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नाम……………………..
कक्षा का नाम………….
दिनांक ………………….
व्यवसायिक-पत्र के रूप में
भेजनें वाले का पता………………….
दिनांक ………………….
पत्र प्राप्त करने वाले का नाम ,
पत्र प्राप्त करने वाले का पता………………….
विषय : (पत्र लिखने का उदेश्य )
महोदय,
पहला अनुच्छेद ………………….
दूसरा अनुच्छेद ………………….
भवदीय,
अपना नाम
निचे हम इसे कुछ प्रमुख उदाहरण कि मदद से सीखेंगे।
Format of Application in Hindi – प्रार्थना पत्र लिखने का तरीका
Hindi application format
उदाहरण #1 – अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को आर्थिक सहायता के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए
वार्ड न.4 , बणी ,
खंडेला ।
दिनांक 22 दिसंबर , 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
प्रेरणा माध्यमिक विद्यालय,
कुलमर्ग कॉलोनी,
सीकर।
विषय- आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूँ। इसके अतिरिक्त मैं भाषण-प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूँ। खेल-कूद में भी मेरी गहन रुचि हैं। मैं स्कूल की होकि टीम का कप्तान भी हूँ। सभी अध्यापक मेरी प्रशंसा करते हैं।
मुझे अत्यन्त दुःख के साथ आपको बताना पड़ रहा हैं कि मेरे पिताजी को एक असाध्य रोग ने आ घेरा हैं जिसके कारण घर की आर्थिक दशा डगमगा गई हैं। पिताजी स्कूल से मेरा नाम कटवाना चाहते हैं। वे मेरा मासिक-शुल्क देने में असमर्थ हैं। मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तकें तो जैसे-तैसे खरीद ली हैं, लेकिन शेष व्यय के लिए आपसे नम्र निवेदन हैं कि मुझे पांच सौ रुपये मासिक की छात्रवृत्ति देकर मुझे आर्थिक सहायता प्रदान करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से चला सकूँ। यह छात्रवृत्ति आपकी मेरे प्रति विशेष कृपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं खूब मेहनत से पढ़ूँगा और इस स्कूल का नाम रोशन करूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सॉयल
कक्षा-आठवीं
रोल न -19
प्रार्थना पत्र कैसे लिखें | How to write an Application in Hindi
Format of official letter in Hindi | कार्यालयी पत्र का प्रारूप
उदाहरण #2 बस में छूटे सामान का पता लगाने के लिए दिल्ली परिवहन निगम के प्रबंधक को पत्र लिखिए
सेवा में,
अध्यक्ष,
राजस्थान राज्य परिवहन निगम,
खंडेला ।
दिनांक- 22 दिसंबर , ××××
विषय – बस में छूटे बैग का पता लगाना ।
महोदय,
कल दिनांक 21 दिसंबर , 2××× को मैंने जयपुर में कार्य खंडेला के लिए जयपुर बस स्टैण्ड से बस पकड़ी थी। सफर पूर्ण हो जाने के बाद मैं बस से उतर कर खंडेला चला गया।
जब घर जाकर मैंने देखा कि मेरे पास मेरा बैग नहीं हैं तो मुझे बहुत चिंता हो गयी क्योंकि मेरे बैग में मेरे बहुत कीमती सामान हैं। मैंने उस बस का पता लगाना भी चाहा पर मै असमर्थ रहा अतः मै यह चाहता हूँ कि आप अपने बस के ड्राइवर या कंडक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क करें और मुझे मेरे कांटेक्ट पर सूचित करें मै आपको उस बस का न भी भिजवा रहा हूँ आपकी बहुत मेहरबानी होगी।
धन्यवाद।
भवदीय
मुहम्मद मकसूद
वार्ड न 4,
खंडेला ।
दूरभाष – ××××××××××
बस न – ×××××
Format of informal letter in Hindi – अनौपचारिक पत्र का प्रारूप
प्रेषक का पता ( भेजनें वाले का पूरा पता )………………
………………
……………….
……………….
दिनांक ( जिस दिन भेजा जाए कि दिनांक)…………..
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशलक्षेम)……………….
दूसरा अनुच्छेद ………..(विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)…………
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)…………….
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध ( जैसा – भाई, दोस्त, माता पिता, आदि। )
प्रेषक का नाम ( जिसको भेजना हो का नाम )………..
निचे हम इसे उदाहरण कि मदद से समझते हैं।
Hindi letter format
Anopcharik patra – अनौपचारिक पत्र
उदाहरण #3 छात्रावास से अपने पिता को एक पत्र लिखिए
निर्मल छात्रावास,
सीकर ।
दिनांक 22 दिसंबर , 20XX
आदरणीय पिताजी,
अस्सलामुअलैकुम।
आप भेजा हुआ पत्र मुझे प्राप्त हो गया हैं । पिताजी आपका पत्र पा कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। दिल में ख्याल आया कि मै भी आपके लिए एक पत्र लिखू इसलिए लिख दिया । मैं यहाँ बहुत खुश रहती हूँ और मैंने अच्छे दोस्त बना रखे हैं जो मेरी हर वक़्त सहायता करते हैं। मुझे किसी तरह की कोई समस्या नहीं हैं। जहाँ तक बात मेरे छात्रावास की हैं, तो मैं इस पत्र में आपको उसकी सम्पूर्ण जानकारी दे रही हूँ।
हम प्रातः 4 : 59 बजे उठते हैं। 5 : 59 बजे तक शौच आदि से फ्री होकर सुबह सुबह भ्रमण के लिए निकल जाते हैं। इन सब कार्यों पर हमारा लगभग एक घण्टा व्यतीत हो जाता हैं। इसके बाद सात बजे से साढ़े सात बजे के मध्य स्नान करते हैं। ठीक 8 बजे नाश्ते की घण्टी बजती हैं। प्रातः साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक पढ़ाई करती हूँ। दस बजे से चार बजे तक विद्यालय में रहती हूँ। सायं साढ़े पाँच से साढ़े छः बजे तक का समय खेलों के लिए निश्चित हैं। रात्रि भोजन की घण्टी आठ बजे बजती हैं। भोजन के पश्चात् दो घण्टे अध्ययन करता हूँ। रात्रि ग्यारह बजे सब विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से सो जाना पड़ता हैं। इस प्रकार हमारी दिनचर्या नियमबद्ध ढंग से एवं सुचारु रूप से चलती रहती हैं। छात्रावास के अधीक्षक हमारी हर सुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखते हैं। मैं अगले महीने ग्रीष्म अवकाश में घर आऊँगा।
माताजी को सलाम , गुलफा को प्यार।
आपकी प्रिय पुत्री ,
कोमल
उदाहरण #4 बोर्ड परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक पाने पर अपने बड़े भाई को बधाई पत्र लिखिए
बाई पास रोड 07,
खंडेला ।
दिनांक 22 दिसंबर , 20XX
आदरणीय बड़े भाई ,
अस्सलामुअलैकुम !
जब मैंने सुबह आज का अख़बार देखा तोआपकी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह पढ़कर मै फुले न समाया कि आपने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में 100 अंक प्राप्त करके प्रथम स्थान हासिल किया हैं।
आदरणीय बड़े भाई , मुझे आप पर पहले से यह उम्मीद थीं और मुझे गर्व हैं कि मै आपका छोटा भाई हूँ । जिस तरह से आप आपने मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई तब सबको पूर्ण विश्वास था कि आप 12वीं में जिला टॉप करोगे और आपने ऐसा करके अपना, घरवालों का, समाज, गांव, विद्यालय का नाम रोशन किया। मै ऊपर वाले से यही दुआँ करूंगा कि आप और तरक्की करें और आगे बढ़ते रहे।
मेरे भाई , आपकी इस सफलता पर हम सब मिलकर एक कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। आपकी इस सफलता से मै भी बहुत प्रभावित हुआ हूँ। और मै भी आपकी तरह मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करूंगा।
शुभकानाओं सहित।
आपका छोटा भाई ,
मुहम्मद अज़हर
Letter in Hindi pdf
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Final words as Conclusion – निष्कर्ष
इस लेख मै हमने Format of letter in hindi सीखा जैसा कि हमें पता हैं पत्र दो प्रकार के होते हैं इसलिए पत्र का प्रारूप क़ो समझने के लिए सबसे पहले औपचारिक पत्र के प्रारूप क़ो उदाहरण के साथ समझा ठीक उसी प्रकार अनौपचारिक पत्र के प्रारूप क़ो भी समझा। इस प्रकार हमने letter in format क़ो विस्तार से समझ लिया
तो दोस्तों हिंदी केटेगरी मे हमने letter in hindi sub केटेगरी बनाई हैं इसलिए पत्र लेखन सिखने के लिए आप step by step लेख क़ो पढ़ सकते हो। अगर आप शिक्षा से सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हो तो https://shikshaportal.in पर क्लिक करके पढ़ सकते हो।
#Frequently ask question – FAQ
पत्र मुख्य रूप से दो प्रकार से होते है, इसलिए इन्हे लिखने का भी अलग अलग तरीका फॉर्मेट होता है इसे समझने के लिए आप ऊपर लेख को पूरा पढ़े
एक औपचारिक पत्र एक व्यवस्थित और पारंपरिक भाषा में लिखा जाता है और एक विशिष्ट निर्धारित प्रारूप का पालन करता है। ये पत्र केवल आधिकारिक उद्देश्यों के लिए लिखे जाते हैं, जैसे कि प्रधानाचार्य को, मानव संसाधन प्रबंधक को, किसी कर्मचारी को, कॉलेज या स्कूल के प्रबंधक को पत्र लिखना, शिक्षक को, आदि।
1 सबसे पहले पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्र प्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए।
2 पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो- जिसे ‘प्रेषिती’ भी कहते हैं- उसके प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए।
3 पत्र प्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय।
4 पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः ‘आदरणीय पिताजी’ लिखते हैं।
5 शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए ‘आदरणीय’-जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं।
6 अपने से छोटे के लिए हम प्रायः ‘प्रियवर’, ‘प्रिय’-जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।
अनौपचारिक पत्र मे सबसे पहले पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्र प्रेषक का पता और दिनांक लिखा जाता हैं।
कार्यालय पत्र औपचारिक पत्र होते हैं
कार्यलय पत्र एक प्रकार का औपचारिक पत्र होता हैं, जिसमे परिपत्र,अधिसूचना पत्र, पावती पत्र, विज्ञापन आदि शामिल हैं।
पारिवारिक सदस्यों, मित्रों एवं अन्य प्रियजनों को लिखा जाने वाला पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाता हैं। इसके अंतर्गत प्रमुख निम्न पत्र आते हैं -1 कुशल-क्षेम सम्बन्धी पत्र2 बधाई सम्बन्धी पत्र3 सहानुभूति/संवेदना प्रकट करने सम्बन्धी पत्र4 निमन्त्रण पत्र5 खेद सम्बन्धी पत्र6 सलाह सम्बन्धी पत्र7 अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र8 धन्यवाद सम्बन्धी पत्र आदि।
व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं।
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