भाषा हमारे संवादनाओं का माध्यम होती है और उसमें ध्वनियों का खेल विशेष महत्व रखता है। हिंदी भाषा में ‘उ’ ध्वनि भी मात्रा की भाँति प्रयुक्त होती है, जिसका उपयोग शब्दों को रंगीन और सुंदर बनाने में होता है। इस लेख में हम Chhote U Ki Matra Wale Shabd के बारे में बात करेंगे और उनके महत्वपूर्ण प्रयोगों को जानेंगे।
Chotti U Ki Matra Ke Shabd
दुल्हन | चुक | बुढ़िया | मुसीबत |
उजाला | कठपुतली | पुरजा | पुअर |
गुलशन | गुमसुम | जोधपुर | सुनील |
चुटकुला | कुसुम | गुनगुना | जुड़ |
कुतर | गुलाबजल | पुकार | सुना |
बुरा | कुलदीप | कुल्लू | कछुआ |
दुगुना | रुधिर | धुंध | अर्जुन |
बुलबुल | गुड़िया | तुलसी | धनुष |
झुक | रघु | लघु | खुल |
धुन | खुबसूरत | चुनमुन | जुड़ाव |
छुआछूत | छुआ | पुस्तक | सुन |
झुमने | झुकाव | तुला | गुप्त |
टुकड़ा | ठुमरी | रुमाल | तुलना |
रुचि | सुबोध | ठुकराना | दुबला |
मुलायम | साबुन | खुश | पुजारी |
शुभ | गुलाम | सुथार | मुनीम |
उतराखंड | बटुआ | फुलवारी | गुनगुन |
दुम | चतुर | मधु | उजाला |
झुमका | भुलेख | कुम्हार | चुपचाप |
मुर्गा | ठाकुर | मुसाफिर | उन्नाव |
यमुना | जुराब | गुरुवार | अनुमान |
मुझे | रुप | झुक | चुम्बन |
पशु | कुर्ता | दातुन | भावुक |
कछुआ | सुनार | मधुमक्खी | झुण्ड |
मनु | अंकुर | धुँआ | लुप्त |
सुपारी | तनु | तुम | बांसुरी |
सुषमा | रघुवीर | अनु | तुल |
सुबह | गुंगी | रूई | मुर्गी |
शुक्रवार | गुण | दुम | बुन |
गुरूवार | सुपारी | गुलाल | कुरता |
साबुन | रुलाना | बगुला | गुलाब |
फुहारा | गुपचुप | बटुआ | सुपारी |
कुमकुम | फुटबॉल | जुराब | पुड़िया |
कुसुम | खुश | कुटिया | घुटन |
फुलवाड़ी | मालपुआ | ठुमक | बुलबूल |
गुलाबजामुन | मधु | कुमार | गुदगुदा |
सुर | खुश | सुबह | काबुल |
कुमकुम | मधुर | खुद | सुख |
तुम | झुमझुम | झुनझुना | गुस्सा |
कुछ | डुगडुगी | दुकान | अनुमान |
पुल | चुप | गुड़ | तुलसी |
सुन | दुम | फुलवारी | बुलबुल |
झुमका | चुनरी | पुजारी | फुर्तीली |
रुमाल | फुलझड़ी | चुपचाप | घुटना |
गुनगुन | यमुना | बुखार | गुड़िया |
बिलकुल | दुःख | मुकुट | गुजरात |
धुन | कुछ | हनुमान | बुढ़िया |
लुंगी | चुन | मुर्गा | सुराही |
गुजिया | मधुर | घुटना | फुटपाथ |
बुधवार | पुकार | रूपया | चुम्बक |
फुलझड़ी | उदयपुर | बुलाना | गुरु |
फुरती | मुहावरा | गुण | जयपुर |
अतुल | घुटन | बिल्कुल | मुँह |
चुनरी | अणु | दुकानदार | सुधार |
ठुमका | चुनरी | गुब्बारा | पुल |
कछुआ | धनुष | मुनमुन | बहुत |
सुहावनी | सुमन | चुप | गुजरात |
गुलजार | सुविधा | शुक्रवार | साधु |
सुख | मुख | छोटु | कछुआ |
बुलाना | चुप | सुलाना | हुआ |
घुप | गुड़िया | पुड़िया | कुम्हार |
बुढ़िया | पुलाव | दुनिया | तुम |
पुजारी | चुहिया | कुंआ | रुपया |
Chhote U Ki Matra Wale Shabd
दातुन | मुरली | मुर्गी | चतुर |
गुलगुला | फुर्तीली | फुलवारी | मथुरा |
बुलबुल | कठपुतली | सुमन | भुवन |
फुआ | दुकान | मुंगी | चुहिया |
गुड़ | कुर्ता | सुराही | कठपुतली |
ठुमका | कुल | फुटपाथ | सुबह |
कुमार | दुकान | मुकुट | बुलबुल |
मुरली | मनुष्य | उत्तर | खुजली |
पुलाब | कुछ | दुःख | पुलिस |
सुराही | सुधा | चुनना | पुडिया |
सुलाना | गुपचुप | पुल | बुजुर्ग |
घुटना | सुई | रुलाना | चुम्बक |
फुर्तीला | पुत्री | भुआ | पुत्र |
गुलाबी | सुबह | फुलवारी | गुड़ |
कुत्ता | कुतिया | कुवारा | फुहार |
चुतर | गुमशुदा | गुलामी | पुलती |
यमुना | गुदगुदा | गुलाब | बुखार |
जामुन | दुनिया | मथुरा | चुहिया |
चुंगी | धुँआ | रुई | जुआं |
कुमकुम | लुहार | बुनकर | भुवन |
छुक | खुश | घुस | सुमन |
कुल्फी | जुलाहा | शुभम | काबुल |
बगुला | फुटबाल | गुब्बारा | फुहारा |
मात्रा का महत्व
हिंदी भाषा में ‘उ’ की मात्रा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह मात्रा वर्णों को उच्चारण में गहराई और सुंदरता प्रदान करती है। इसका उपयोग शब्दों के अर्थ और उच्चारण में विवाद को दूर करने में भी होता है।
छोटे ‘उ’ की मात्रा वाले शब्दों की उदाहरण:
- उल्लास: यह शब्द खुशी और आनंद की भावना को व्यक्त करता है। जब हम ‘उ’ की मात्रा के साथ इसे उच्चारण करते हैं, तो उसमें और भी ज्यादा जीवंतता आ जाती है।
- उदाहरण: यह शब्द किसी विशिष्ट उदाहरण देने के लिए प्रयुक्त होता है। ‘उ’ की मात्रा से इस शब्द का उच्चारण सुंदरता से होता है और यह समझने में आसानी हो जाती है।
- उपहार: यह शब्द उपहार देने की क्रिया को व्यक्त करता है। ‘उ’ की मात्रा के साथ इसका उच्चारण करने से इसका अर्थ और उद्देश्य अधिक स्पष्ट हो जाता है।
- उत्साह: इस शब्द से उत्साह और उत्कर्ष की भावना प्रकट होती है। ‘उ’ की मात्रा के साथ इसका उच्चारण करने से इसकी महत्वपूर्णता और गहराई बढ़ जाती है।
निष्कर्ष
Chhote U Ki Matra Wale Shabd: ‘उ’ की मात्रा भाषा के रंग-बिरंगे पलों को और भी उत्कृष्ट बनाती है। इसका सही प्रयोग करके हम अपनी भाषा को मधुर और व्यावसायिक बना सकते हैं।