Chhand in Hindi – कविता की सुंदरता का आधार

व्याकरण, साहित्य और कविता की उत्कृष्टता का एक अभिन्न हिस्सा है। छंद एक विशेष रूप से कविता में प्रयुक्त होने वाली विशेषता है जो कविता को आकर्षक और सुरीला बनाती है। छंद का अर्थ है ‘माप’ या ‘सीमा’ (Chhand in Hindi) । यह कविता के प्रत्येक अंश की उचित लम्बाई और उच्चारण को निश्चित करने का कार्य करता है।

Chhand in Hindi – छंद की परिभाषा

“छंद” एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है “माप” या “सीमा”। यह शब्द कविता या गीति की रचना में उपयोग होता है और विशेष रूप से शब्दों की मात्राओं और गणनाओं की व्यवस्था को संदर्भित करता है।

छंद की उत्पत्ति भारतीय साहित्य और विद्या परंपरा में हुई। संस्कृत भाषा में छंद का प्रारंभिक रूप भी देखा जा सकता है। वेदों में छंद का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विद्या थी और छंदोमिति ग्रंथ भी लिखे गए। छंद का अध्ययन उस समय के कवियों को शब्दों को सुंदर और सुरीला बनाने के लिए उन्हें आवश्यक साधना प्रदान करता था।

छंद की यह उपयुक्तता और नियमितता, कविता की आकृति और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को साबित करती है, और यह कविता के अंग को सुदृढ़ और भावनात्मक बनाता है। रस, अलंकार और छंद जैसे अनुशासन विद्याओं का अध्ययन करने से कवि अपने शब्दों को उचित रूप से व्यवस्थित करता है और उन्हें आकर्षक बनाता है।

Chhand in Hindi – संस्कृत भाषा के अनुसार छंद का अर्थ

संस्कृत भाषा में “छंद” (छन्दस्) शब्द का अर्थ “माप या मात्रा” है। यह शब्द संस्कृत कविता और साहित्य के क्षेत्र में प्रयुक्त होता है और शब्दों के सही रूप से व्यवस्थित अनुक्रमण की कला को सूचित करता है। छंद का उद्देश्य कविता को आकर्षक और अद्वितीय बनाना है, जिससे यह पाठकों के दिलों में भावनाओं को उत्तेजित कर सके।

Chhand in Hindi – छंद के 7 अंग

छंद के कुल 7 अंग है, जो कि निम्नलिखित है:-

  1. चरण/पद/पाद: चरण या पद एक कविता में एक छंद का एक अंश होता है। यह छंद की आकृति तय करने में मदद करता है।

    उदाहरण: “तुम हो यहाँ, यहाँ हो तुम” (गीत: कबीर)

  1. वर्ण और मात्रा: छंद के वर्ण और मात्रा उनकी उचित गिनती और आकृति को दर्शाते हैं। वर्ण वाक्य में अक्षरों को सूचित करते हैं, और मात्रा उनकी गणना करती है।

   उदाहरण: “राम” शब्द में तीन वर्ण और तीन मात्राएँ हैं।

  1. संख्या, क्रम और गण: यह छंद के विभिन्न विकल्पों को सूचित करता है, जैसे गीति, तृतीया, चतुर्थी, और त्रिष्टुभ।

  उदाहरण: गीति छंद में प्रत्येक पद में आठ मात्राएँ होती हैं।

  1. लघु और गुरु: लघु और गुरु वर्ण या मात्राओं के लंबाई और महत्वपूर्णता को निश्चित करते हैं। लघु वर्ण/मात्रा होते हैं जिनका योगदान कम होता है, जबकि गुरु उनका विपरीत है।

  उदाहरण: “राम” (लघु) और “महाभारत” (गुरु)

  1. गति: गति छंद में शब्दों की गति या चाल को सूचित करती है, जैसे अनुष्टुभ, त्रिष्टुभ, जगती, और उष्णिक।

उदाहरण: त्रिष्टुभ छंद में प्रत्येक पद में 11 मात्राएँ होती हैं।

  1. यति/विराम: यति या विराम छंद में पदों के बीच रुकावट को सूचित करते हैं। इससे वाक्यों को उचित रूप से विभाजित किया जाता है।

  उदाहरण: “तुम हो यहाँ, यहाँ हो तुम।”

  1. तुक: तुक छंद एक संक्षेपित और अधिक उत्कृष्ट पद होता है जो विशेषतः संत कविताओं में प्रयुक्त होता है। यह अक्सर आद्यतन, धार्मिक या आत्मिक विचारों को संक्षेपित करता है।

   उदाहरण: “जो भयो खालास ताकूर, जीवन तजि चिन्त।” (संत तुकाराम)

इन 7 अंगों के माध्यम से छंद कविता की संरचना और आकृति को उचित रूप से व्यवस्थित करता है और इसे पाठकों के लिए सरल और सुरीला बनाता है।

Chhand in Hindi – छंद के प्रकार

  1. गीति (मात्रावृत्त): गीति छंद में वर्णों की संख्या और मात्राओं की गणना होती है। वाक्य को उचित रूप से विभाजित किया जाता है। उदाहरण के रूप में, “वन्दे मातरम्” गीति में प्रत्येक चरण में 8 मात्राएँ हैं। 
  1. श्रंगारी (स्त्रीवाचक): इस छंद में शब्दों की अनुक्रमणिका होती है, जो अक्सर प्रेम, वात्सल्य या भक्ति के विषयों पर होती है। उदाहरण के रूप में, “तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है”।
  1. उपजाति (यात्रा छंद): इसमें प्रत्येक पद की पहली वर्णमाला का उचित रूप से योजना किया जाता है। उदाहरण के रूप में, “चलो जोर से बोलें जयजयकार, जोर से बोलें जयजयकार।”
  1. उपजाति छंद: इसमें अंतिम पद पर भार रहता है, जिससे विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। उदाहरण के रूप में, “वृक्ष हो भले खड़े, हो घने, हो बड़े।”

Chhand in Hindi – छंद की महत्वपूर्ण भूमिका

छंद कविता को सुंदर और सुरीला बनाता है। यह कविता की उचित रीति और ताल को निश्चित करता है। छंद के माध्यम से कवि अपने भावों को व्यक्त करने का अद्वितीय तरीका ढूंढता है।

कवित्त छंद के उदाहरण

1. दोहा  

   “कागज के फूलों के, आज बिछाने आया हूँ।  

    बाग़ में ये मोर देखो, अब आ न जाये दूर।”

2. चौपाई  

   “राम नाम लखन धन चिन्हूं,  

    सुख शांति दें सब चित धुन।”

निष्कर्ष

छंद कविता की शोभा और सुंदरता का आधार है। यह कविता को आकर्षक बनाता है और सुनने वाले को उसके भावों में लुभाता है। इसलिए, छंद का सही उपयोग करके कवि अपने शब्दों को जीवंत बनाता है और व्यक्ति के दिल तक पहुँचता है। इस प्रकार, छंद विषय के बारे में एक विस्तृत जानकारीपूर्ण ब्लॉग लिखा गया है। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए सहायक साबित होगी।

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