हिंदी व्याकरण में वर्ण विचार के बाद शब्द विचार का अध्ययन किया जाता हैं, अगर आपका भी सवाल हैं कि शब्द किसे कहते हैं? तो यह लेख आप हीं के लिए हैं, क्योंकि हम हिंदी ग्रामर के सभी टॉपिकस को कवर कर रहें हैं जिसमें आज हम शब्द ( Shabd ) के बारे में सिखाने कि कोशिश करेंगे In sha Allaah
शब्द एक या एक से अधिक वर्णों का ऐसा समूह होता हैं जिसका कोई सार्थक अर्थ निकलता हो जैसे – आम, पंखा, घर, क्रिकेट, मैदान आदि यह सभी शब्द हैं जो दो या दो से अधिक वर्णो के मेल से बने हैं तथा इनका कोई सार्थक अर्थ भ निकलता हैं, तो चलिए इसे विस्तार से सीखते हैं।
☛ सीखे सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण : Hindi Vyakaran | Hindi Grammar pdf→

शब्द का अर्थ एवं परिभाषा
एक या एक से अधिक वर्णों के मेल से बना ऐसा समूह जिसका कोई सार्थक अर्थ निकले उसे ‘शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समुदाय को ‘शब्द’ कहते है।
अन्य शब्दों में – वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल को ‘शब्द’ कहते है।
साधारण शब्दों में – एक या एक से अधिक ध्वनियों या वर्णों के जुड़ने से बना समूह जिसका कोई न कोई न अर्थ निकलता हो, उसे ‘शब्द’ कहते हैं।
जैसे – नल, पतंग, लड़का, आसमान, दुकान, चलना, काम, सफाई आदि।
उपर्युक्त उदाहरण में आप देख सकते हो कि यह सब शब्द दो या दो से अधिक ध्वनि या वर्णों के जुड़ने से बने हैं, तथा इनका कोई न कोई अर्थ भी निकलता हैं।
जैसे – नल जिसमें पानी आता हैं, पतंग उड़ती हैं, आसमान जो हमारे ऊपर हैं, दुकान जिसमें दुकानदार सामान बेचता हैं अब आप समझ गए होंगे कि इनका कोई न कोई अर्थ जरुर निकल रहा हैं।
हर हालत में शब्द सार्थक होना चाहिए, व्याकरण में निरर्थक शब्दों के लिए स्थान नहीं है।
शब्द अकेले या फिर कभी दूसरे शब्दों के साथ मिलकर अपना अर्थ प्रकट करते हैं।
इन्हें हम दो रूपों में पाते हैं – एक इनका अपना बिना मिलावट का रूप है, जिसे संस्कृत में प्रकृति या प्रातिपदिक कहते हैं और दूसरा वह, जो कारक, लिंग, वचन, पुरुष और काल बतानेवाले अंश को आगे-पीछे लगाकर बनाया जाता है, जिसे पद कहते हैं।
यह वाक्य में दूसरे शब्दों से मिलकर अपना रूप झट सँवार लेता है।
शब्दों की रचना ध्वनि और अर्थ के मेल से होती है।
एक या अधिक वर्णों से बनी स्वतन्त्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते है; जैसे- तुम , तेज , और , गाय इत्यादि। अतः शब्द मूलतः ध्वन्यात्मक होंगे या वर्णात्मक किन्तु, व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्दों की अपेक्षा वर्णात्मक शब्दों का अधिक महत्त्व है, वर्णात्मक शब्दों में भी उन्हीं शब्दों का महत्त्व है, जिनका सार्थक अर्थ हो, व्याकरण में निरर्थक शब्दों पर विचार नहीं होता हैं।
☛ वर्णमाला का अर्थ, परिभाषा, एवं प्रकार : स्वर और व्यंजन | Hindi varnamala Pdf →
शब्दों का वर्गीकरण
भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है। शब्दों का वर्गीकरण चार आधारों पर किया जाता है:
- उत्पत्ति/स्रोत के आधार पर
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशी शब्द
- संकर
- व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
- अर्थ के आधार पर
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
- प्रयोग/विकार के आधार पर
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
उत्पत्ति/स्रोत के आधार पर
शब्दों के उत्पत्ति एवं स्रोत के आधार पर पांच भेद होते हैं –
Tatsam shabd – तत्सम शब्द
Tatsam shabd kise kahate Hain

मूल भाषा के वे शब्द जो बिना किसी बदलाव के हिंदी में प्रयुक्त होने लगे उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – तत् (उसके) + सम (समान) यानी वे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में बिना किसी बदलाव (मूलरूप में) के ले लिए गए हैं, उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहते हैं।
सरल शब्दों में – हिंदी में संस्कृत के मूल शब्दों को ‘तत्सम शब्द’ कहते है।
तत्सम शब्द के उदाहरण
जैसे – प्रथम, कवि, माता, विद्या, नदी, फल, पुष्प, पुस्तक, पृथ्वी, क्षेत्र, कार्य, मृत्यु आदि।
नीचे आप तत्सम शब्द के अन्य उदाहरण पढ़ सकते हो जो संस्कृत से हिंदी में आये है –
तत्सम | हिंदी |
---|---|
आम्र | आम |
उष्ट्र | ऊॅंट |
चंचु | चोंच |
त्वरित | तुरंत |
शलाका | सलाई |
चतुष्पदिका | चौकी |
उद्वर्तन | उबटन |
खर्पर | खपरा, खप्पर |
तिक्त | तीता |
गोमल ,गोमय | गोबर |
Tadbhav shabd – तद्भव शब्द
Tadbhav shabd kise kahate Hain

मूल भाषा के वे शब्द जो संस्कृत से हिंदी में बदलाव या परिवर्तित होकर प्रयुक्त होने लगे उन्हें ‘तद्भव शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द, जो अपने रूप को बदलकर हिन्दी में मिल गये है, उन्हें ‘तद्धव शब्द‘ कहते है।
अन्य शब्दों में – तद् (उससे) + भव (होना) यानी जो शब्द संस्कृत भाषा से थोड़े बदलाव के साथ हिंदी में आए हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
तद्भव शब्द के उदाहरण
संस्कृत | तद्भव |
---|---|
दुग्ध | दूध |
हस्त | हाथ |
कुब्ज | कुबड़ा |
कर्पूर | कपूर |
अंधकार | अँधेरा |
अक्षि | आँख |
अग्नि | आग |
मयूर | मोर |
आश्चर्य | अचरज |
उच्च | ऊँचा |
Deahaj Shabd – देशज शब्द
Deshaj shabd kise kahate Hain
ऐसे शब्द जो देश में जन्म लीं हुई भाषा के होते हैं उन्हें ‘देशज शब्द‘ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जो शब्द देश की विभिन्न भाषाओं से हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे है, उन्हें ‘देशज शब्द‘ कहते है।
सरल शब्दों में- देश की बोलचाल में पाये जानेवाले शब्द ‘देशज शब्द‘ कहलाते हैं।
देश + ज अर्थात देश में जन्मा अतः जो शब्द देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित आम बोल-चाल की भाषा से हिंदी में आ गए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं।
देशज वे शब्द है, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नही चलता। ये अपने ही देश में बोलचाल से बने है, इसलिए इन्हे देशज कहते है।
हेमचन्द्र ने उन शब्दों को ‘देशी’ कहा है, जिनकी व्युत्पत्ति किसी संस्कृत धातु या व्याकरण के नियमों से नहीं हुई। विदेशी विद्वान जॉन बीम्स ने देशज शब्दों को मुख्यरूप से अनार्यस्त्रोत से सम्बद्ध माना हैं।
देशज शब्द के उदाहरण
चिड़िया, कटरा, कटोरा, खिरकी, जूता, खिचड़ी, पगड़ी, लोटा, डिबिया, तेंदुआ, कटरा, अण्टा, ठेठ, ठुमरी, खखरा, चसक, फुनगी, डोंगा आदि।
Videahi Shabd – विदेशज या विदेशी शब्द
हिंदी और संस्कृत को छोड़कर अन्य दूसरे देशो कि भाषाओ के वे शब्द जो हिंदी में प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें ‘विदेशज शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- हिंदी और संस्कृत के आलावा वे सभी शब्द विदेशियों के संपर्क में आने पर विदेशी भाषा से हिंदी में आए, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं।
सरल शब्दों में- हिंदी और संस्कृति के अतिरिक्त वे सभी शब्द विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आ गये है, उन्हें विदेशी शब्द कहते है।
आजकल हिंदी भाषा में अनेक विदेशी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
विदेशी शब्द के उदाहरण
अँगरेजी से | हॉस्पिटल, डॉक्टर, बुक, रेडियो, पेन, पेंसिल, स्टेशन, कार, स्कूल, कंप्यूटर, ट्रेन, सर्कस, ट्रक, टेलीफोन, टिकट, टेबुल इत्यादि। |
फारसी से | आराम, अफसोस, किनारा, गिरफ्तार, नमक, दुकान, हफ़्ता, जवान, दारोगा, आवारा, काश, बहादुर, जहर, मुफ़्त, जल्दी, खूबसूरत, बीमार, शादी, अनार, चश्मा, गिरह इत्यादि। |
अरबी से | असर, किस्मत, खयाल, दुकान, औरत, जहाज, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, कालीन, मालिक, गरीब, मदद इत्यादि। |
तुर्की से | तोप, काबू, तलाश, चाकू, बेगम, बारूद, चाकू इत्यादि। |
चीनी से | चाय, पटाखा,आदि। |
पुर्तगाली से | कमीज, साबुन, अलमारी, बाल्टी, फालतू, फीता, तौलिया इत्यादि। |
संकर शब्द
दो अलग – अलग भाषाओ के शब्दों को जोड़कर मिश्रित रूप में नया शब्द बनाया जाता हैं, उन शब्दों को ‘संकर शब्द’ कहते हैं।
संकर शब्द के उदाहरण
अग्निबोट, नेकचलन, नेकनीयत, बमब्लास्ट आदि।
व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर
शब्द कई प्रकार से बनते हैं, कुछ शब्द एक से अधिक शब्दों को जोड़कर बनाए जाते हैं, सभी शब्दों का अपना अर्थ होता है, एक शब्द जब दूसरे शब्द के साथ जुड़ता है, तब वह भिन्न अर्थ देता है। रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं:
Rudh shabd – रूढ़ शब्द
Rudh shabd kise kahate Hain
वे शब्द जिनमे शब्द रचना कि इकाई ( सन्धि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय ) न हो उन्हें ‘रूढ़ शब्द’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले आ रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
सामान्य शब्दों में – वे शब्द जिनका कोई न कोई न निश्चित अर्थ हो तथा जिनमे किसी अन्य शब्द का योग नहीं होता उन्हें ‘रूढ़ शब्द’ कहते हैं।
सरल शब्दों में – जिन शब्दों के खण्ड सार्थक न हों, उन्हें ‘रूढ़ शब्द’ कहते है।
इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं।
रूढ़ शब्द के उदाहरण
जैसे- ‘नाक’ शब्द का खंड करने पर ‘ना’ और ‘क’, दोनों का कोई अर्थ नहीं है। उसी तरह ‘कान’ शब्द का खंड करने पर ‘का’ और ‘न’, दोनों का कोई अर्थ नहीं है।
अन्य उदाहरण –
कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।
Yogik Shabd – यौगिक शब्द
Yogik shabd kise kahate Hain
दो रूढ़ शब्द के योग से बनने वाले शब्द जिनका विच्छेद करने पर प्राप्त शब्द अपना – अपना अर्थ देते हैं, उन्हें ‘यौगिक शब्द‘ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – ऐसे शब्द, जो दो शब्दों के मेल से बनते है और जिनके खण्ड सार्थक होते है, ‘यौगिक शब्द’ कहलाते है।
‘यौगिक’ यानी योग से बनने वाला वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं, उन्हें ‘यौगिक शब्द’ कहते हैं।
दो या दो से अधिक रूढ़ शब्दों के योग से यौगिक शब्द बनते है
यौगिक शब्द के उदाहरण
- आग + बबूला = आगबबूला
- पीला + पन = पीलापन
- दूध + वाला = दूधवाला
- घुड़ + सवार = घुड़सवार
- डाक + घर = डाकघर
- विद्या + आलय = विद्यालय
यहाँ प्रत्येक शब्द के दो खण्ड है और दोनों खण्ड सार्थक है।
Yogrudh Shabd – योगरूढ़ शब्द
वे शब्द जो दो रूढ़ शब्दों के योग से बनते हो, परन्तु एक विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध होते है, उन्हें ‘योगरूढ़ शब्द’ कहते है।
सामान्य शब्दों में – ऐसे यौगिक शब्द, जो साधारण अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ ग्रहण करे, ‘योगरूढ़’ कहलाते है।
दूसरे शब्दों में – वे शब्द जो यौगिक होते हैं, परंतु एक विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो जाते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते है।
मतलब यह कि यौगिक शब्द जब अपने सामान्य अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ बताने लगें, तब वे ‘योगरूढ़’ कहलाते है।
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं –
Sarthak Shabd – सार्थक शब्द
Sarthak shabd kise kahate Hain
वह वर्ण समूह जिसका स्पष्ट रूप से कोई अर्थ निकले, उसे ‘सार्थक शब्द’ कहते है।
जैसे – कमल, खटमल, रोटी, सेव आदि।
उपर्युक्त उदाहरण में इन सभी शब्दों का कोई न कोई सार्थक अर्थ जरूर निकलता हैं।
निरर्थक शब्द
वे वर्ण समूह जिसका कोई अर्थ न निकले, उसे निरर्थक शब्द कहते है।
जैसे- राटी, विठा, चीं, वाना, वोती, फ़फ़फ़फ़, कक्कज, लललल आदि।
सार्थक शब्दों के अर्थ होते है और निरर्थक शब्दों के कोई अर्थ नहीं होते:
जैसे – ‘पानी’ सार्थक शब्द है और ‘नीपा’ निरर्थक शब्द, क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं।
प्रयोग/विकार के आधार पर
प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित दो भेद होते है –
Vikari Shabd – विकारी शब्द
Vikari shabd kise kahate Hain
विकार यानी परिवर्तन अर्थात वे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तन का विकार आता है, उन्हें ‘विकारी शब्द‘ कहते है।
दूसरे शब्दों में – वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण विकार (परिवर्तन) आ जाता है, उन्हें ‘विकारी शब्द‘ कहते हैं।
विकारी शब्द के उदाहरण
- लिंग – लड़का खेलता है।……. लड़की खेलती है।
- वचन – लड़का खाता है।……..लड़के खाते है।
- कारक – लड़का जाता है।…….. लड़के को जाने दो।
Vikari shabd ke Bhed – विकारी शब्द के भेद
विकारी शब्द चार प्रकार के होते है –
- संज्ञा ( Noun )
- सर्वनाम ( Pronoun )
- विशेषण ( Adjective )
- क्रिया ( Verb )
Avikari Shabd – अविकारी शब्द
अ + विकारी यानी जिनमें परिवर्तन न हो अर्थात वे शब्द जिनके रूप में कोई परिवर्तन नही होता, उन्हें ‘अविकारी शब्द’ कहते है।
दूसरे शब्दों में – वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें ‘अविकारी शब्द’ कहते हैं।
जैसे – परन्तु, तथा, यदि, धीरे-धीरे, अधिक आदि।
Avikari shabd ke Bhed – अविकारी शब्द के भेद
अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है –
- क्रिया-विशेषण ( Adverb )
- सम्बन्ध बोधक ( Preposition )
- समुच्चय बोधक ( Conjunction )
- विस्मयादि बोधक ( Interjection )
शब्द और पद में अंतर
यहाँ शब्द और पद का अंतर समझ लेना चाहिए – ध्वनियों के मेल से शब्द बनता है, जैसे- प+आ+न+ई= पानी, यही शब्द जब वाक्य में अर्थवाचक बनकर आये, तो वह पद कहलाता है।
जैसे- पुस्तक लाओ।
इस वाक्य में दो पद है- एक नामपद ‘पुस्तक’ है और दूसरा क्रियापद ‘लाओ’ है।
शब्दार्थ ग्रहण
बच्चा समाज में सामाजिक व्यवहार में आ रहे शब्दों के अर्थ कैसे ग्रहण करता है, इसका अध्ययन भारतीय भाषा चिन्तन में गहराई से हुआ है और अर्थग्रहण की प्रक्रिया को शक्ति के नाम से कहा गया है।
शक्तिग्रहंव्याकरणोपमानकोशाप्तवाक्याद् व्यवहारतश्च।वाक्यस्य शेषाद् विवृत्तेर्वदन्ति सान्निध्यतः सिद्धपदस्य वृद्धाः॥ — (न्यायसिद्धांतमुक्तावली-शब्दखंड)
इस कारिका में अर्थग्रहण के आठ साधन माने गए हैं:
- व्याकरण
- उपमान
- कोश
- आप्त वाक्य
- वृद्ध व्यवहार/लोक व्यवहार
- वाक्य शेष
- विवृत्ति
- सिद्ध पद सान्निध्य
Shabd Pdf Download
शब्द विचार का अध्ययन करने के लिए आप इसको पीडीऍफ़ फॉर्मेट में भी डाउनलोड कर सकते हो, बस आपको निचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करना होगा।
- भाषा (Language)
- वर्ण, वर्णमाला (Alphabet)
- शब्द ( Shabd )
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- कारक (Case)
- पर्यायवाची शब्द
- विलोम/विपरीतार्थक शब्द
- संख्याए
- पत्र-लेखन (Letter-writing)
- निबन्ध-लेखन (Essay-writing)
Conclusion – निष्कर्ष
हिंदी व्याकरण में वर्ण विचार के बाद शब्द विचार का अध्ययन किया जाता हैं, इसलिए आज हमने शब्द का अर्थ, परिभाषा एवं वर्गीकरण का विस्तार से अध्ययन किया अतः हिंदी ग्रामर सीखने के लिए इसे स्टेप बाई स्टेप सीखना बहुत जरूरी होता हैं, क्योंकि सभी टॉपिक्स एक दूसरे से जुड़े हुए हैं इसलिए समझने में आसानी होती हैं।
उम्मीद करता हुँ कि यह लेख आपकी तैयारी के लिए फायदेमंद साबित और इसी तरह कि शिक्षा से सम्बंधित जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर रेगुलर विजिट करते हैं और हमारी वेबसाइट का नाम अपने दिमाग़ में सेव करके रख लीजिये ( Shikshaportal.in ) शुक्रिया!
FAQ – Shabd kise Kahate Hain
ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समुदाय को ‘शब्द’ कहते हैं।”[1] अर्थात एक या एक से अधिक अक्षरों के सार्थक योग को शब्द कहते हैं; जैसे- आ, मैं, पैसा, प्रेम, परन्तु आदि।
भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है।
शब्दों का वर्गीकरण चार आधारों पर किया जाता है:
1. रचना के आधार पर
2. अर्थ के आधार पर
3. प्रयोग के आधार पर
4. उत्पत्ति के आधार पर
एक या एक से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।
यौगिक शब्द – दो सार्थक शब्दों के मेल से बनने वाले शब्दों को यौगिक शब्द कहते है।
जैसे- कुपुत्र = कु+पुत्र,
हिमालय = हिम+आलय,
पुस्तकालय = पुस्तक+आलय आदि।
वर्णों और मात्राओं को मिलाकर शब्द बनते हैं। उपयुक्त शब्द चयन के लिए तीन चीजें चाहिए —प्रतिभा,व्युत्पत्ति और अभ्यास।